शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

नमस्कार। आप सब को वित्तीय नए साल के लिए मुबारक। व्यवसाय ,नौकरी ,स्कूल ,कॉलेज सब के लिए नई शुरुआत। अप्रैल का महीना। एक ऐसा महीना जो शुरू होता है अपने ही अंदाज़ में -इस महीने का पहला दिन अप्रैल fools का दिन होता है। यह प्रथा कब से शुरू हुआ है। मैंने रिसर्च किया। पता चला कोई निश्चित शुरुआत का इतिहास नहीं है। परन्तु यह प्रथा १७वीं शताब्दी से प्रचलित है। यह एक हल्का फुल्का मज़ाक और मस्ती का प्रयास है अपनों के साथ। आनंद लेना है बिना दिल को ठेस पहुँचाकर। आपने क्या किसी को पहले अप्रैल के दिन किसी को fool बनाया है। कैसा रहा आपका तजुर्बा। 

परन्तु अब हमें fools बनने से सतर्क रहना पड़ेगा। आपने जरूर सुना और पढ़ा होगा कैसे लोग तरह तरह के धोके का शिकार बन रहें हैं। मेरे एक अभिन्न मित्र को मेसेज और कॉल आया कि उसने अपने बिजली की बिल का पेमेंट नहीं किया है। अगर अगले एक घंटे में पे नहीं करेगा तो बिजली की लाइन कट कर दिया जायेगा और उसको फिर से चालू करने के लिए बहुत पैसे लगेंगे और पाँच से सात दिन का समय लगेगा। सोचिए आज के ज़माने में पाँच से सात दिन बिना बिजली का बिताना। मेरे दोस्त ने भेजे हुए लिंक के जरिए पे करने की कोशिश की। करीब दो लाख रुपये उनके बैंक एकाउंट से निकल गया। करीब छः महीने गुज़र गए हैं। अभी भी पैसा वापस नहीं मिला है। इस उदाहरण से हम क्या सीख सकते हैं। जो ऐसा धांधली कर रहें हैं , उनके पास हमारे कई डिटेल्स हैं। इनका तकनीक है कि सोचने का समय ना देकर एक डर पैदा करना जो कि हम नहीं चाहते हैं। ऐसे समय पर फ़ोन करो जब कि इंसान ऐसे किसी काम में उलझा हो कि उसके पास समय ज़्यादा नहीं है सोचने का या पूछताछ करने का। जैसा की मेरे दोस्त के साथ हुआ। जो कि एक बड़ी कंपनी में एक महत्वपूर्ण जिम्मेवारी वाले पोजीशन पर है। मेरे मित्र ने मुझे यह बताया कि उन्होंने बिल पे किया था और उनको संदेह हुआ।  परन्तु  उसने आप के वजाय उस फ़ोन करने वाले के बातों पर विश्वास किया। सबसे बड़ी गलती जो उन्होंने की -बिजली के लाइन के कट जाने के धमकी से डर गया। और यहीं पर उसने सबसे बड़ी गलती कर दी। आज के ज़माने में कोई भी सर्विस प्रोवाइडर अपने वेबसाइट पर लिख देता है अपने टर्म्स और कंडीशंस ऐसे परिस्थितिओं के लिए। जैसे कि अगर आप समय पर बिजली का बिल ना भरो तो जुर्माना क्या है। अगर यह जानकारी मेरे दोस्त के पास होती तब वह fool नहीं बनता। आप सबसे निवेदन है कि जो भी सर्विस का आप ग्राहक हो उनका टर्म्स एंड कंडीशंस ध्यान से पढ़ो और समझो। 

इसके अलावा मेरा विश्लेषण इस  निष्कर्ष पर पहुँचा है कि अधिक से अधिक लोग जो कि fool बनाए गए हैं ,अपने लालच का शिकार हैं। आपको एक लिंक मिला कि आपको एक लौटरी लगी है एक करोड़ रुपये का। बस क्लिक कीजिये और अपने बैंक एकाउंट का डिटेल्स दीजिए पैसा आपके एकाउंट में आ जायेगा। यह आपको लिंक मिलने के आधे घंटे के अंदर करना है नहीं तो किसी और को लौटरी लग जायेगा। बस आप लिंक पर क्लिक करो और आपका बैंक एकाउंट खाली हो जाएगा। 

मुझे कभी -कभी फ़ोन मिलता है कि मेरा एक पुराना इन्शुरन्स पॉलिसी में काफी पैसा जमा हो गया है। जो कि न उठाने पर फिर कभी नहीं मिलेगा। अगर मैं अपना बैंक एकाउंट का डिटेल्स दूँ तो पैसे मुझे मिल जाएंगे। जरा सोचिये अगर पैसा मेरा है तब किसी भी नियम के अधीन उसे कोई नहीं ले सकता है। ऐसी जानकारी हमें मदत करती है fool नहीं बनने से। 

एक और उदाहरण देखिये। कई गरीब लोग जल्दी ,ज़्यादा पैसा कमाने के लिए चिट फंड में अपना पैसा निवेष करते हैं। कुछ महीनों में पैसा दुगना हो जाएगा इस आश्वासन के कारण। शुरू में जब उनका निवेष थोड़ा होता ,तब उनको दुगना पैसा वापस मिलता है। यह एक तरीका है लालच को प्रोत्साहित करने का। फिर एक समय आता है जब पूरा पैसा डूब जाता है। ऐसा धाँधली हर राज्य में होता है। यह भी जानकारी के अभाव के लिए होता है। कोई भी अगर दस से बारह प्रतिशत से ज़्यादा बढ़त का वादा करता है तो सावधान रहिये। जितना कम समय में आपके पैसों को बढ़ाने का आश्वाशन दे ,उतना ही सतर्क हो जाइए। 

दुनिया जितना डिजिटल बन जाएगी उतना ही ऐसे क्राइम बढ़ेंगे। बुजुर्गों का मदत कीजिए। उनको ज़्यादा टारगेट करते हैं ऐसे धोकेबाज। लालच और डर के फंदे में पैर ना रखिये। जानकारी बढ़ाइए इनसे दूर रहने के लिए। ताकि आपको कोई fool ना बना सके। 

इस साल गर्मी का पूर्वाभास अच्छा नहीं है। सावधान रहिये। अपना और अपनों का ख्याल रखिये। फिर मिलेंगे अगले महीने। 

शुक्रवार, 1 मार्च 2024

नमस्कार। होली के महीने में आप सब का स्वागत। वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना। टैक्स प्लैनिंग का महीना। कई वयवसाय के लिए वाणिज्य का सबसे उम्दा महीना। विद्यार्थी के लिए परीक्षा का समय। नौकरी करने वाले के लिए वार्षिक परफॉरमेंस का समय। बहुत ही व्यस्त महीना। हर किसी के लिए। दो किस्म का प्लॅनिंग चलता है। वर्ष को धमाके के साथ समाप्त करने का। और नए साल का तगड़ा शुरुआत करने की प्रस्तुति। 

मैं समझता हूँ कि मार्च का महीना आगे के बारह महीनों के प्लानिंग में इस्तेमाल करना चाहिए। किस तरह का प्लॅनिंग। मन ,धन, चैन ,प्रगति और स्वास्थ का। शायद आप हमसे सहमत होंगे अगर मैं यह कहूँ कि इन्सान का मन ही इंसान का सबसे बड़ा मित्र और सबसे कठिन शत्रु होता है। हम अपने मन को खुश रखे तो ज़िन्दगी और आसान एवं आनंदमय बन जाता है। थोड़ा सोचिये और खुद के साथ बातचीत कीजिये। गत बारह महीनें में आपके ख़ुशी के क्षण और उनकी वजह और उदासी के पल और उदासी के कारन। मैंने अपने लिए यह विश्लेषण किया है। और दो -तीन बातें मेरे सामने उभर कर सामने आई है। पहली बात बहुत सारे उदासी का कारन मैं खुद हूँ। मैं दूसरे के तरक्की पर उदास हूँ। क्योँ। क्योंकि मुझे लगता है वह इंसान उस तरक्की के काबिल नहीं है। वह लकी या खुश किसमत है। मैं कौन होता हूँ इस निष्कर्ष  पर पहुँचने का। इस वित्तीय वर्ष में हमारी वार्षिक आय उम्मीद से काफी कम रही। इस वजह से मैं उदास हूँ। परन्तु जब मैंने अपने जैसे औरों से बातचीत की तब मुझे यह महसूस हुआ कि मैंने औरों की अपेक्षा बेहतर किया है। थोड़ी ख़ुशी हुई। हमारा मानना है कि हम औरों के साथ अपना तुलना करके सबसे ज़्यादा असंतुष्ट होते हैं। यह एक व्यर्थ प्रयास है। इससे दूर रहिए। 

धन केवल तनख्वा या मासिक रोजगार ही नहीं है। कैसे हम अपने धन की वृद्धि करेंगे इसके लिए प्लानिंग करना आवश्यक होता है। कुछ इंसान केवल आज के लिए जीते हैं। उनका कहना है कि कल किसने देखा है। आज जी भर कर जीयो। मुझे ऐसे सोच से कोई असुविधा नहीं है। केवल इतना ही कहना है कि कल क्या होगा किसको पता परंतु कल के सफर के लिए रहना है तैयार। इसी में होशियारी है। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसने अपनी ज़िन्दगी में उतार चढ़ाओ नहीं देखें हो। इसी लिए हमारे पूर्वज कन्या के विवाह के समय सोने के अलंकार को स्त्रीधन का दर्जा देते थे जिसका मूल्य सदा बढ़ता रहेगा और कठिन समय में पैसों की जरूरत को मिटा सकता है। अभी हमारे देश में निवेश और पैसों को बढ़ाने के कई तरीके हैं। केवल एकमात्र प्रलोभन से दूर रहना जरूरी है -तुरंत पैसा बढ़ाने के वादे करने वाले उपाय का। फिर तो यह जुआ का दर्जा ले लेता है। और हम सबको पता है कि जुआ इंसान को  सर्वनाश कर सकता है। 

चैन ,प्रगति और स्वास्थ का एक अनदेखा बंधन है। प्रगति के लिए बेचैनी आवश्यक है। परन्तु हद से ज्यादा बेचैनी स्वास्थ बिगाड़ सकती है। संतुलन बनाए रखना जरूरी है। एकमात्र उपाय है अपने प्रयास पर फोकस करना। परिणाम पर नहीं। क्योंकि परिणाम पर किसी का कण्ट्रोल नहीं है। परन्तु अपने प्रयास पर हर किसी का कण्ट्रोल है। प्रयास का क्वांटिटी और क्वालिटी दोनो पर नज़र रखना आवश्यक है। उदाहरण स्वरुप अगर डॉक्टर ने मुझे वजन घटाने के लिए हफ्ते में पाँच दिन ४५ मिनट का द्रुत वाक करने का निर्देश दिया है तो पाँच दिन ४५ मिनट चलना प्रयास का क्वांटिटी है। ४५ मिनट में हम कितना किलोमीटर चल रहें हैं प्रयास का क्वालिटी है। जितना ज़्यादा किलोमीटर चलेंगे उतना ही प्रयास का क्वालिटी बेहतर है। इस सन्दर्भ में आखरी बात उन अभिभावकों के लिए है जो कि अपने बच्चों के परीक्षा के रिजल्ट के लिए अपनों का और बच्चे का चैन न्योछावर कर देते हैं। अगर आपके टेंशन करने से रिजल्ट्स बेहतर हो जाएंगे तो फिर बच्चे को पढ़ कर परीक्षा की तैयारी नहीं करनी परती। आपका टेंशन ही उनके रिजल्ट्स बेहतरीन कर दिए होते। परन्तु ऐसा कभी नहीं होता है। बच्चे को प्रोत्साहित कीजिए पढ़ाई का आनंद लेने का। बच्चा सीखेगा और यही उसका ज़िन्दगी का सम्पद बनने वाला है। 

आपका यह वित्तीय वर्ष सफलता के साथ संपन हो यही दुआ रहेगी हमारी। अगला साल और बेहतर हो यही हमारी आशा रहेगी। फिर मिलेंगे अगले वित्तीय वर्ष में। खुश रहिये। 

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

नमस्कार। २०२४ का दूसरा महीना। वित्तीय वर्ष के अंत से दो महीने दूर। फ़रवरी का महीना। वैलेंटाइन्स का महीना। रोमांस का महीना। रोमांस क्या केवल युवा पीढ़ी के लिए है। या हर किसी के लिए है। मेरा मानना है कि रोमांस ज़िन्दगी के लिए है। रोमांस के बिना ज़िन्दगी अधूरी है। सहमत हैं आप। या उत्सुक हैं मेरे इस धमाकेदार ऐलान का सन्दर्भ समझने के लिए। यही आज के लेख का मूल  विषय है। 

रोमांस का मतलब क्या है। प्यार। मोहब्बत। या और कुछ। जब आप किसी से रोमांस करते हो तो क्या होता है। आप उसके साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने की कोशिश करते हो। आप उनको और बेहतर समझने का निरंतर प्रयास करते हो। क्या अच्छा लगता है क्या बुरा लगता है उसका ध्यान रखते हो और चेष्टा रहती है कि हम वह करें जो कि उन्हें अच्छा लगता है। सबसे बड़ी बात है कि रोमांस के लिए किया हुआ मेहनत कभी थकान नहीं महसूस कराती है। हमें आनंद मिलता है ऐसे मेहनत का। हम उस क्षण के लिए सोचते हैं और एक उज्वल और आनंदमय भविष्य का उम्मीद रखते हैं। 

हमारा क्रिकेट के लिए पागल देश है। हर किसी का एक या अधिक फेवरिट क्रिकेटर होता है। ऐसे क्रिकेटर के सफलता का राज़ क्या है। क्रिकेट के साथ रोमांस। घंटों अभ्यास गर्मी ,बरसात ,ठंड के मौसम में। हाई प्रेशर मैच में परफॉरमेंस का आनंद। निरंतर खुद को ,फैंस को और दर्शकों को और आनंद देने के लिए मेहनत और फोकस। यह है खेल के साथ रोमांस। 

बॉलीवुड के किरदार -हीरो ,हीरोइन ,विलेन -सब का फैन होता है। यह लोग हमें परदे पर दिखते हैं। परन्तु एक सफल फिल्म के लिए अनगिनत ऐसे लोग काम करते हैं जिन्हें हम दर्शक नहीं देख पाते हैं। उनके सम्मिलित प्रयास के बिना फिल्म नहीं बन सकती है। ऐसे लोग अपने पेशे के साथ रोमांस करते हैं यह जान कर भी कि फिल्म का श्रेय अभिनेता और डायरेक्टर को प्राप्त होगा। दर्शक उनके काम के साथ रोमांस को नहीं समझ पायेंगे। परंतु फिल्म इंडस्ट्री में उनका कदर बढ़ता है। 

आप जो भी कर रहे हो उसके साथ रोमांस करो। विद्यार्थी किसी भी सब्जेक्ट के साथ , नौकरी या बिज़नेस वाले अपने पेशे के साथ। घर में रहने वाले किसी भी विषय के साथ जिससे आपको और परिवार को फायदा हो। मेरे कुछ मित्र रिटायर होने के बाद वेद ,पुराण ,गीता ,रामायण या महाभारत को समझने के लिए इन के साथ रोमांस में डूब गए हैं। 

आपको केवल यह निर्णय करना है कि आप किसके साथ रोमांस करना चाहते हो। यह पहला कदम है आपके रोमांस के लिए। फिर रोमांस में डूब जाईये और ज़िन्दगी का और भी आनंद लीजिये। हैप्पी वैलेंटाइन्स डे। खुश रहिए। 

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

Happy New Year

नमस्कार। २०२४ के लिए हमारी शुभकामनाएँ। हैप्पी न्यू ईयर। हम हर किसी को नए साल के शुरुआत में  हैप्पी न्यू ईयर कह कर ऊनके लिए हैप्पी होने का दुआ करते हैं। आज का लेख इसी सन्दर्भ में है। 

हम खुद चाहते हैं कि हम हैप्पी रहें और हमारे अपने भी हैप्पी रहें। परन्तु हमने कभी यह सोचा है कि हमारा हैप्पीनेस का मापदंड क्या है और हम कैसे अपना हैप्पीनेस बढ़ा सकते हैं ? आपने कभी सोचा है इस विषय पर अपने लिए ? क्या निष्कर्ष रहा आपका ,खुद के लिए ? आपने क्या कभी अपनों के लिए यही प्रश्न किया है ? अपने जीवन साथी को क्या हैप्पी बनाता है ? शायद आपने उतनी गहराई के साथ सोचा होगा जैसा कि आप इस वक़्त सोच रहे होगे ,इस लेख को पढ़ते वक़्त। 

हैप्पीनेस दो तरह के होते हैं -एक जो कि अप्रत्याशित है और दूसरा जो कि परिकल्पित या प्लैन्ड है। उदहारण स्वरुप आप चाहते हैं कि आपका बच्चा, जो कि पढ़ाई में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं रखता है ,परीक्षा में अच्छे मार्क्स लेकर आए। सहज प्रश्नपत्र होने की वजह से अगर उसे अच्छे मार्क्स मिल जाए तो आप हैप्पी हो जायेंगे। यह अप्रत्याशित हैप्पीनेस का एक नमूना है। एक और उदाहरण -आप अपना वज़न कम करना चाहते हो।  कुछ नहीं करने के बावजूद आपका वज़न घट जाता है। आप हैप्पी हो जाओगे। अप्रत्याशित हैप्पीनेस। एक मात्र असुविधा है कि इस हैप्पीनेस पर आपका कोई कण्ट्रोल नहीं है। आप इसको दोहरा नहीं सकते हो। आपको अच्छे समय का इंतज़ार करना पड़ेगा। हैप्पी होने के लिए। 

परिकल्पित हैप्पीनेस के लिए यह समझना पड़ेगा कि मेरा हैप्पीनेस कहाँ छुपा है। मेरा तजुर्बा बताता है कि हम खुद के साथ इस विषय पर सोचते नहीं हैं। कुछ ऊपरी अनुभूति हमें खुश करती है। जैसा कि मैं चूँकि खाने का शौक़ीन हूँ ,अच्छा खाना मुझे खुश कर देता है। यह ख़ुशी महत्वपूर्ण और जरूरी है। परन्तु जिस  ख़ुशी को समझने के लिए और गहराई से सोचना जरूरी है ,उस पर सोच विचार करना जरूरी है। मुझे ख़ुशी मिलती है जब मैं दूसरों को प्रोत्साहित कर पाता हूँ अपने सोच के माध्यम से। यह उपलब्धि मुझे तब हुई जब आप जैसे कई पाठक मेरे साथ फेसबुक के माध्यम से मेरे साथ जुड़ने लगे , मुझे प्रश्न पूछने लगे अपने कैरियर या दुविधा के विषय में। इस लिए मैं हर महीने कोशिश करता हूँ नए सोच के साथ अपने लेख को पेश करने का। 

अपनों के हैप्पीनेस के विषय में हम अक्सर एक गलती कर बैठते हैं। हम अपने हैप्पीनेस को अपनों का हैप्पीनेस समझ बैठते हैं। कई अभिवावक अपने बच्चों को गाना सीखने के लिए मजबूर करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि गाना सीखने से बच्चे को दूसरे बच्चों के तुलना में आगे रहने में सहायता होगा और उनको अपने बच्चे पर और गर्व होगा। परन्तु बच्चा शायद गाना सीखने में दिलचस्पी ना रखता हो। मजबूरी के कारण वह गाना सीखने की कोशिश करता है। ताकि उसके अभिवावक नाराज ना हो। यह हैप्पीनेस का गलत नमूना है। 

मेरा मानना है कि हमें अपने लिए हैप्पीनेस के लिए ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिसके कारन कोई और दुखी हो जाए। यही हैप्पीनेस का पहला नियम है। परन्तु हैप्पीनेस का मूल मंत्र क्या है ? हाल में एक हिंदी सिनेमा में मुख्य किरदार ने एक बेमिसाल डायलाग बोला है -हैप्पीनेस इस अ डिसिशन -अर्थार्थ हमारी ख़ुशी हमारा डिसिशन है। और किसी का नहीं। खुश रहिए। हैप्पी न्यू ईयर। 

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

नमस्कार। साल का आखरी महीना। हर कोई चाहता है कि यह महीना अच्छे से गुज़र जाय और हम नए साल में बिना किसी बाधा या असुविधा के साथ प्रवेश करें। जरा सोचिए उस मजदूरों और उनके परिवार के विषय में जो की एक सुरंग में अटक गए थे। ४१ मजदूर और उनके परिवार पर क्या गुजरी होगी। उन सबको सलाम जिन्होंने अनहोनी को होनी कर दिखाया। सबसे ज़्यादा हौसला बढाती है मजदूरों का साहस और वापस उसी काम में जाने का निर्णय। उन्होंने प्रमाण कर दिखाया है कि डर के आगे जीत है। और यही सोच उनको विश्वास दिला रहा था जब तक वह अंदर थे। कैसे संभव  हुआ यह अभियान ? यही आज के लेख का विषय है। 

पहली बात है टीम वर्क। जो अंदर थे और जो बाहर से मदत कर रहे थे ,उनमें ताल मेल बेहतरीन रहा। अंदर -बाहर दोनों टीम के सदस्यों ने एक दूसरे का साथ निभाया और नेतृत्व की बात सुनी। चूँकि कठिन था उद्धार कार्य तरह तरह के विशेषज्ञ जुड़ रहे थे इस अभियान में। इसका मतलब है कि लीडर बदल रहा था जरूरत के अनुसार। और टीम के सदस्य इस परिस्थिति पर निर्भर अलग अलग लीडर को स्वीकार किया और उनके निर्देशों का पालन किया। यह बहुत महत्वपूर्ण है हमारे हर किसी के जीवन में। इसे कहते हैं विशेषज्ञ का नेतृत्व जो कि उम्र में कम या जूनियर हो सकता है। दबे हुए लोगों में दो लीडर थे और उनकी बात सब लोगों ने सुना। काम करते वक़्त अगर उनमें कोई मतभेद होता भी होगा , उन्होंने संकट के समय ऐसे विचारों को अपने बीच दरार करने नहीं दिया। 

दूसरी बात है संचार बरक़रार रखना दोनों टीम के बीच। और सबसे महत्वपूर्ण सीख है कि जब संचार बरक़रार रखने के लिए वार्तालाप संभव नहीं हो रहा तब इशारों के माध्यम से संचार बनाए रखना है। दबे हुए टीम के लीडर ने दिमाग लगा कर पानी के सप्लाई को चालु और बंद किया बीच -बीच में ताकि बाहर के टीम को यह समझ में आए कि अंदर लोग जिन्दा हैं और दिमाग के साथ काम कर रहें हैं। इसी लिए कहा जाता है कि समझने वालों के लिए इशारा ही काफी है !

तीसरी बात है डर और स्ट्रेस का सामना करना। कोई भी ऐसी परिस्थिति में घबड़ा जाएगा। यही स्वाभाविक है। परन्तु परिस्थितिओं का मूल्याङ्कन करने के बाद इस डर से जूझने का रणनीति सोच कर प्रयोग करना ही एक मात्र उपाय होता है। और घबराहट को दूर करने का एक उपाय है अपने अंदर के बच्चे को प्रोत्साहन देना। बच्चे कम डरते हैं। यही दबे हुए टीम ने किया। बचपन में जो खेल सब ने खेला है ,उसमें मशगूल रहे। दिमाग व्यस्त रहा और टेंशन भी कम हुआ। 

चौथी सीख है शीर्ष स्थानीय नेतृत्व का हर वक़्त वहाँ मौजूद रहना और लगातार निर्णय लेना बिना किसी विलम्ब के। मशीन लाए गए। विशेषज्ञ देश -विदेश से बुलाए गए और अंत में एक ऐसे टीम को बुलाया गया जिन्हें 'रैट माइनर्स ' के नाम से सम्बोधित किया जाता है और जो अपने हातों से खुदाई करते हैं। दो -तीन निर्णय ऐसे लिए गए जिसमे रिस्क या खतरा था , परन्तु शीर्ष नेतृत्व ने ऐसे फैसले लिए बिना विलम्ब के जो कि फायदेमंद रहे। इसी लिए कहा जाता है कि ज़िन्दगी में रिस्क ना लेना ही ज़िन्दगी का सबसे बड़ा रिस्क होता है। 

अंतिम सीख है विश्वास करना और उम्मीद के साथ मुक़ाबला करना की हमें विजय प्राप्त होगा। अपने आप पर और पूरी टीम पर भरोसा रखना अति आवश्यक है। बाहर निकलने के बाद दो में से एक लीडर ने सामवादिक सम्मेलन में गर्व के यह बोला कि हमारे देश ने विदेश से भारतीय नागरिकों को कठिन परिस्थितिओं से बचाव किया और सुरक्षित उनके परिवार वालों से मिलाया है। हम तो अपने देश में ही थे !

४१ परिवारों को बधाई और सलाम आपके धैर्य और अधिकारिओं पर भरोसा रखने के लिए। और सादर प्रणाम टीम के हर सदस्य को इतने जान को सुरक्षित उद्धार करने के लिए। मेरा अटूट विश्वास है कि इस घटना पर फिल्म जरूर बनेगी। जो भी यह फिल्म बनाएगा उनसे सविनय निवेदन है कि उस फिल्म के अभिनेता इन्हे ही बनाइये क्योंकि यही असल हीरो हैं !

आप सब को नए साल की अग्रिम बधाई। स्वस्थ रहिए और ख़ुश रहिए। फिर मुलाकात होगी नए साल में। 

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

नमस्कार। नवंबर का महीना। धनतेरस ,दिवाली और बाल दिवस का महीना। सर्दी के मौसम  को स्वागत। अच्छी सब्जियों का मौसम। और कुछ रुकावट के बाद शादी की तारिखियाँ। हर दृष्टिकोण से खुश मिजाज रहने का निमंत्रण। क्या आप खुश हैं ? आपका समय कैसा गुजर रहा है। क्या आपने धनतेरस में खरीदारी की ? क्या आपने दिवाली में पटाखे का आनंद उठाया। दिया और रौशनी को उपभोग किया है ?

मेरा मानना है कि कई इंसान अपने आप को इन छोटी छोटी आनंद से वंचित करते हैं। इसका प्राथमिक वजह है अपने अंदर विराजमान बच्चे को अस्वीकार करना और उस बच्चे को अपने मस्तिष्क में प्रोत्साहित नहीं करना। आपने अक्सर सुना होगा कि पटाखों के साथ खेलना बच्चों का खेल है। हम क्यों अपने आप को रोकते हैं ?

मूल वजह है कि हम हर वक़्त अपने आप का मूल्यांकन करते रहते हैं। जो कि हम बचपन में नहीं करते थे। हम ज़्यादा निडर थे। हमें असफल होने का डर नहीं था। लोग क्या कहेंगे यह चिंता दिमाग में नहीं आता था। कभी भी। अभी हम खुद भी नहीं करते हैं और बच्चों को भी रोकते हैं इसी डर से। 

अगर आप मेरे सोच से सहमत हो और इस विषय में अपने लिए कुछ करना चाहते हो तो आपके पास दो उपाय हैं। पहला विकल्प है ऐसा कुछ करना जो कि आप बचपन में करते थे और उससे आपको आनंद मिलता था। उदाहरण स्वरुप हम जैसे काफी लोग बचपन में अपने गली या मोहल्ले में क्रिकेट खेलना पसंद करते थे। अभी शायद हम लोगों का गली या मोहल्ला बदल चूका है। परन्तु आस पास जरूर बच्चे क्रिकेट खेलते होंगे। उनके साथ खेलने का प्रयास कीजिये। इस बात का परवाह मत कीजिए कि आप कितना रन बना पाते हैं ,कैच पकड़ पायेंगे या नहीं या गेंदबाज़ी में आपका प्रदर्शन कैसा रहेगा। जब तक आप इन चिंताओं से अपने आप को मुक्त नहीं कर सकेंगे आप अपने बचपन में वापस नहीं जा सकेंगे। 

दूसरा उपाय है कि ऐसा कुछ कीजिये जिसका आपका बचपन से शौक था परन्तु किसी वजह से कर नहीं पाए हैं। मेरा एक मित्र एक सफल कैंसर सर्जन है। इस कारन ज़्यादा मरीज़ उनके पास चिकित्सा के लिए संपर्क करते हैं। और कैंसर में ज़्यादा मरीजों का देहांत होना स्वाभाविक होता है। मेरा यह मित्र जितना अपने काम और कला से आनंद लेता था ,उतनी ही उसे उदासी होती थी जब कोई मरीज गुज़र जाता था। और यह उसको बहुत सता रहा था। एक करीब के दोस्त के नाते मुझे भी उसकी उदासी खल रही थी। एक दिन बातचीत के दौरान यह उभर कर आया कि मेरे दोस्त का एक सपना था पियानो बजाना सीखना। परन्तु पियानो महँगा होने के कारन यह सपना साकार नहीं हुआ। वह इस बचपन के सपने को अब साकार कर रहा है ,कितना अच्छा बजा रहा है महत्वपूर्ण नहीं है , परन्तु अपने बचपन के शौक के माध्यम से हर शाम वह रिलैक्स करता है। कुछ समय तक अपने बचपन का सैर करके। 

इस महीनें दिवाली दो बार मनाया जाता अगर भारतीय क्रिकेट टीम विश्व चैंपियन बन जाती। तरह तरह के विचार व्यक्त किये जा रहें हैं इस असफलता के विश्लेषण में। इसका कोई फायदा नहीं है सिवाय समय नष्ट करने का। परन्तु इस प्रतियोगिता में हमारी टीम ने दस लगातार मैच जीत कर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। पर उससे भी ज़्यादा अहम् बात है दर्शकों को जो आनंद मिला है इस टीम के खेल को देख कर। और यह संभव हुआ है केवल एक निर्णय से जो कप्तान और कोच ने लिया था -हर खिलाड़ी को स्वाधीनता दिया गया था अपने प्रतिभा का प्रदर्शन करके खुद का आनंद लेने का -बिना किसी चिंता के फेल होने का। उनकी जगह टीम में सुरक्षित थी अगर वह असफल भी हो गए तो। निडर होकर क्रिकेट खेलो -यही था मूल संदेश। 

अपनी ज़िन्दगी से आनंद लीजिये। यही है जीने का एक मात्र फार्मूला। और इसके लिए अपने बचपन से जुड़े रहिये। मुलाकात होगी आपके साथ इस साल के आखरी महीनें में। तब तक खुश रहिये। स्वस्थ रहिए।  


शुक्रवार, 29 सितंबर 2023

 नमस्कार। अक्टूबर का महीना। बापू के जन्मदिन का महीना। राष्ट्रीय छुट्टी का दिन। कई नए कार्यक्रम का उद्घाटन। हर साल। बापू के विषय में इतने लेख मौजूद कि नए लेख को मेहनत करना पड़ता है पाठकों को आकर्षित करने के लिए। मेरा आज का लेख यही प्रयास करेगा। 

बापू को आर्टिस्ट लोगों ने तरह तरह से दर्शाया है। उन सब में आज मैं आप सब का ध्यान बापू के ऐनक पर आकर्षित करना चाहता हूँ। मेरे लिए बापू के ऐनक दूरदर्शिता का प्रतिनिधित्तव करते हैं। अंग्रेजी भाषा में जिसे हम विशन के नाम से जानते हैं। यह विशन हर किसी के लिए आवश्यक है। परन्तु अधिकतर लोग इस विषय पर उतना ध्यान नहीं देते हैं। चाहे आप विद्यार्थी हो ,व्यवसायी हो ,नौकरी में हो या अवसर प्राप्त हो ,सबको अपना विशन निर्धारित करना जरूरी है। जब तक आपके दिमाग में अपने लिए या अपने कैरियर के लिए या अपने व्यवसाय के लिए कम से कम आने वाले तीन साल का गंतव्य नहीं दिख रहा हो ,आप उस सफर के लिए प्रस्तुति नहीं ले सकते हैं। यह जरूरी है ताकि आपको अचानक ऐसे परिस्थितिओं का सामना ना करना पड़े जिसके लिए आप तैयार ना हो। 

आप अपना विशन कैसे निर्धारित करेंगे। आइये बापू से सीखते हैं। बापू ने अहिंसा को क्यों अपना हथियार बनाया अंग्रेज़ों को भगा कर हमारे देश को आजादी दिलवाने के लिए। उन्होंने अपने ताकत को अपनाया। स्वतंत्रता के पहले हमारे पास ना ही थे हथियार ना थी सेना अंग्रेज़ो का मुक़ाबला करने के लिए। हिंसा वाली लड़ाई में अंग्रेज़ों का पल्ला भारी था ,और हमारा कमजोर। परन्तु हमारी जनसँख्या हमारी ताकत थी। बापू को केवल अपने नेतृत्व से लोगों को ललकारना था उनसे जुड़ने के लिए। दांडी यात्रा नमक के लिए शुरू हुआ। नमक के बिना खाना नहीं बन सकता। यह बात लोगों दिल ,दिमाग और पेट से जुड़ गया। बापू को यह भी पता था कि अहिंसा के आधार पर यह लड़ाई लंबा चलेगा। सफलता मिलने में समय लगेगा और अंग्रेज़ लोगों का मनोबल तोड़ने के लिए कुछ भी करेगा। इसी लिए लोगों को साथ बनाये रखने के लिए बापू ने खादी बनाना और पहनना शुरू कर दिया। खादी बनाने का चक्र स्वाधीनता का एक चिन्ह बन गया। लोगों के  स्वाभिमान को एक जबरदस्त प्रोत्साहन मिला। अंग्रेजी कपड़ों को बहिष्कार करके लोगों को एक अलग किस्म के स्वाधीनता का एहसास हुआ। 

अगर आप अपने विशन को निर्धारित करना चाहते हैं तो पहले अपना गंतव्य तय कीजिये। यह निर्णय दो चीज़ पर निर्भर है -आपका स्ट्रेंथ और भविष्य की संभावना। एक उदाहरण स्वरुप समझिये आपका एक दुकान है किराणा दुकान। आप मालिक हो और आप अगले तीन साल में अवसर लेना चाहते हो। आपका वारिस आपकी इकलौती बेटी है जो कि इस वक़्त शादी शुदा है और आपके पड़ोस में रहती है। इस वक़्त वह निर्णय ले पा रही है कि वह आपके दुकान की जिम्मेवारी संभालेगी या नहीं। आप क्या करोगे इस स्थिति में। यह तय करेगा आपके गंत्वय का सफर। जहाँ आपको यह पता होगा कि आपके लड़की का विकल्प होगा अगर वह जिम्मेवारी लेने से इंकार कर दे। यह होता है विशन तय कर लेने का फायदा। 

उम्मीद करता हूँ कि बापू के जन्मदिन के अवसर पर आप अपने ज़िन्दगी को एक विशन दोगे और उस दिशा में कदम बढ़ाओगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है। फिर मिलेंगे अगले महीने दशहरे के बाद। नवरात्री और दूर्गा पूजा के आप सबको अग्रिम बधाई। त्योहारों का समय आपके लिए मंगलमय हो।