रविवार, 15 नवंबर 2015

त्योहार का समय कैसा बीत रहा है आपका ?हमारे देश का एक महत्वपुर्ण त्योहार , दशहरा, लोग रावण का पुतला जला कर करते हैं। अच्छे का बुरे पर विजय का यह सबसे बड़ा प्रतिक है। मैं पिछले दिनों विदेश के सफर पर था। लंबे सफर का बेहतरीन दोस्त हवाई जहाज का एंटरटेनमेंट चैनल है -मैंने इस सफर के दौरान तीन फिल्में देखी-दो हिंदी और एक अंग्रेजी। तीनो फिल्मों में हीरो चाहे कुछ भी करे दर्शकों का समर्थन और सहानुभुति हर वक़्त हीरो के पक्ष में होता है। मेरे अनुसार हीरो नेगेटिव भुमिका में भी ऐसा स्क्रिप्ट पर राज़ी होता है जिसमे उसका हीरो का इमेज हर वक़्त बरक़रार रहे। क्योंकि यही उसका अपने फैंस के साथ रिश्ता है। हर फिल्म के ज़रिये हीरो यह रिश्ता और मज़बूत करने का प्रयास करता है। यही रिश्ता उसका ब्रैंड और उसके बारे में फैंस का सोच उसका ब्रैंड इमेज है।
पिछले महीने मैंने इसी कॉलम में ब्रैंड को एक रिश्ता बताया था। रिश्ता चॉइस का। मजबूरी का नहीं। आज और अगले दो महीनो में मैं ब्रैंड्स के CDE के बारे में आपसे बातचीत करूँगा। Creation -Development -Engagement किसी भी ब्रैंड का तीन मूल प्रयास है। आज मैं आपसे Creation के विषय में बातचीत करूँगा।
पिछले महीने  मैंने अपने आपको एक ब्रैंड के हैसियत से सोचने के लिए अनुरोध किया था।  आपने अपने विषय में सोचा है ? क्या सोचा है आपने ? किसी भी ब्रैंड के लिए तीन सत्य का मूल्यांकन करना अति आवश्यक है :

  • अपने आपको एक ब्रैंड के हैसियत से आप क्या सोचते हैं से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि आपको जानने वाले आपके विषय में क्या सोचते हैं। 
  • मज़े वाली बात यह है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचेंगे यह सम्पूर्ण आप पर निर्भर करता है। 
  • अगर आप ब्रैंड को रिश्ता मानते है तो इस बात से आप जरूर सहमत होंगे कि रिश्ते बनाने में रिश्ता तोड़ने के वनिस्पत कहीं ज़्यादा समय और प्रयास लगता है। ब्रैंड बनने में बहुत समय लगता है , टूटने में कुछ नही। 
अपना ब्रैंड बनाने के लिए आप क्या -क्या कर सकते हैं ?
पहली बात - कोई भी ऐसा ब्रैंड नहीं है जो कि हर कोई को भाता है। हर ब्रैंड का एक अपना रिलेशनशिप सर्कल होता है। हर इंसान का तीन सर्कल होता है -प्राइमरी ,सेकेंडरी और टर्शियरी। अपने इर्द गिर्द लोगों पर गौर फरमाइए -परिवार , कुछ दोस्त, रिश्तेदार और कुछ लोग जिनके साथ आपका प्रोफेशनल रिश्ता है आपके प्राइमरी सर्कल के सदस्य हैं। सेकंडरी सर्कल में इसी तरह के वो लोग हैं जिनके साथ आप उतने करीब नहीं हैं। टर्शियरी में इस तरह के लोग आते हैं जिनसे आपको किसी कारण रिश्ता जोड़ना परता है। जैसे हमारी उम्र बढ़ती है इन सर्कल्स के लोग बदल जाते हैं। स्कूल से कॉलेज से नौकरी ;बचपन से युथ से शादी शुदा -ज़िन्दगी के साथ हमारे रिश्ते बदलते रहते हैं। आपके सफर में आप इस वक़्त किस मुकाम पर हैं ? -आपके रिलेशनशिप सर्कल में कौन किस जगह है ?याद रखिएगा दुनिया में वही ब्रैंड हुआ है जिसने अपने रिलेशनशिप सर्कल को सही समझा है और रिश्ता बनाने का सच्चा प्रयास किया है। आपका अपना I Next इसका एक बेहतरीन मिसाल है।
दूसरी बात - इस रिश्ते में मेरा क्या है ? कहा जाता है कि माता -पिता का अपने बच्चों के प्रति प्यार निःस्वार्थ होता है। इसके अलावा हर रिश्ते का कोई न कोई मकसद होता है। आपका खुद का ब्रैंड बनाने के लिए आप जिनसे रिश्ता बनाना चाहते हैं उनका इस रिश्ते से क्या फायदा है ? ब्रैंड बनाते वक़्त आपको अपने साथ उनके लिए भी सोचना पड़ेगा जिनके दिल में अपना जगह बनाना चाहते हैं। मैं आपके साथ एक रिश्ता बनाने का प्रयत्न कर रहा हूँ। आपको इससे क्या मिल रहा है ? मेरी चेष्टा है कि अपने ज़िन्दगी के तज़ुर्बे से मिले सीख आपके साथ शेयर करूँ जिससे आपको अपनी ज़िन्दगी के सफर में अधिक आनंद मिले। क्या मैंने कुछ सफलता पाया है ?इस समय आप सभी मेरे प्राइमरी सर्कल के सदस्य हैं। जिनको आप मेरे बारे में बताएँगे वो मेरे लिए सेकेंडरी सर्कल में हैं।
तीसरी बात -आपका अपने ब्रैंड का परिचय या आइडेंटिटी क्या होगा ? इस सफर में मुझे एक दिलचस्प व्यक्ति से मिलने का मौका मिला। उन्होंने अपना नाम Rav Kalsi बताया। भारतीय दिखने वाला यह व्यक्ति बचपन से विदेश का  निवासी है। मैं  Rav शब्द का अर्थ समझ नहीं पा रहा था। पूछने पर उन्होंने हसते हुए मुझे समझाया -उनका नाम रविन्द्र है जो कि Rav बना दिया है उन्होंने। मैंने मज़ाक में उनको धन्यवाद कहा मेरी गलतफैमी दूर करने के लिए -मैं तो Rav को रावण का शोर्ट फॉर्म समझ रहा था!आपने लोगों को अपने बच्चों का नाम राम या लक्ष्मण रखते हुए सुना होगा ;रावण , कभी नहीं। यही राम और रावण के ब्रैंड का फर्क है। क्या आपको अपने नाम पर गर्व है ?
मैंने आपके साथ अपने प्रथम मुलाकात में इस बात की चर्चा की थी कि हम सबका नाम , उम्र इत्यादि हमारी पहचान है -हम नहीं। हम कैसे इंसान हैं हमारे नाम से नहीं कर्म से जाने जाते हैं। खुद को समझना और अपनी काबिलियत को ध्यान में रखते हुए अपने ब्रैंड आइडेंटिटी को निर्धारण करना एक बुद्धिमान इंसान की निशानी है। अक्सर लोग कौआ होकर हंस कि चाल चलने की कोशिश में व्यर्थ होते हैं। आपकी सफलता आप बनके रहने में ही है। हर इंसान का एक इंडिविजुअलिटी है -वही उसका ब्रैंड आइडेंटिटी निर्धारित करता है। एक उदाहरण -
राहुल द्रविड़ ने वीरेंद्र सेहवाग के साथ कई बड़ी साझेदारियां निभाई। पाकिस्तान में एक टेस्ट मैच में दोनों ने पहले विकेट के लिए एक बार ४०० से अधिक रनों की एक यादगार साझेदारी निभायी थी। मैच के अंत में राहुल ने संवादिको को एक बहुमुल्य बात कही -"मैं सेहवाग नहीं हूँ ;ना ही  उसके तरह उतनी जल्दी रन बनाने की क्षमता मुझमे है। दूसरी छोर पर खड़े होकर मैंने एक हाइलाइट्स का आनंद उठाया और अपनी काबिलियत के अनुसार बल्लेबाज़ी की-केवल  सेहवाग को ज़्यादा गेंदों का सामना करने का मौका दिया। "
कभी खुद को बेहतर समझने के लिए किसी दूसरे का सहायता लेना पर सकता है। ऐसे व्यक्ति से सहायता लीजिये जो कि निःस्वार्थ आपकी सहायता करे। अपने प्राइमरी सर्कल का चयन सावधानी से कीजिये। क्योंकि  अंग्रेज़ी में एक कहावत है - A man is known by the company he keeps . हर इंसान 'अपने जैसों 'का संगत अधिक पसंद करता है।
चौथी बात -आपका ब्रैंड क्या वादा करता है ?इसे हम ब्रैंड प्रॉमिस कहते हैं। जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा। जैसे -जैसे आपका ब्रैंड बनता जाएगा , लोग आपसे उम्मीद करने लगेंगे। कपिल शर्मा टीवी पे दिखे या दोस्तों के बीच हो -हर वक़्त सब यही उम्मीद करते हैं कि वह लोगों को हसायेगा। मेरा नाम जोकर फ्लिम के ज़रिये राज कपूर ने जोकर के व्यक्तिगत जीवन के परिहास को वाकायदा दर्शाया है। आप अपने मित्रों में कुछ पर औरो कि तुलना में अधिक भरोसा करते होंगे। क्यों ? जिन पर आपका विश्वास ज़्यादा है ,उसने अपना  ब्रैंड प्रॉमिस अर्जन किया है अपने कर्तव्य से। आप किस प्रॉमिस के लिए जाने जायेंगे ?तय कीजिये। इस निर्णय के बिना आपका खुद का ब्रैंड बन नहीं सकता।
पाँचवी बात -"One never gets a second chance to create the first impression ."मेरे एक विदेशी बॉस ने मुझे यह बात १९९२ के शुरुआत में बताई थी। जितने रिलेशनशिप्स सफलता पूर्वक बनते उतना ही ब्रैंड मजबूत बनता है। इस सफर कई अनजान साथी बनेंगे ;कितने साथी साथ छोड़ देंगे। किसी के साथ आपका पहला इम्प्रेशन दो चीज़ों पर निर्भर करता है -आपका ग्रूमिंग और आपका कम्युनिकेशन। ग्रूमिंग केवल आपका वेश भुषा ही नहीं है -आपके बाल , पर्सोनल हाइजीन ,खड़े होने का स्टाइल -सब कुछ ग्रूमिंग का एक अभिन्न अंग है। गोविंदा का ग्रूमिंग अनिल कपुर से भिन्न है। उतने रंग -बिरंगी कपड़ो के बिना हम गोविंदा को सोच ही नहीं सकते हैं -हम उनके उसी रूप को सराहते हैं। क्या हम और आप उतने रंगीन हैं ?
कम्युनिकेशन ज़िंदगी का एक अति महत्वपूर्ण स्किल है। भाषा पर दखल ही केवल एक इफेक्टिव कम्यूनिकेटर नहीं बनाता है। हम भविष्य में कभी आपके साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे। फिलहाल इतना बताना ज़रूरी है कि आप जो बोलते हैं वह महत्वपूर्ण है ;उससे कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि आप किस तरह से बोल रहे हैं। अनुपयुक्त कम्युनिकेशन रिश्ते टूटने का  सर्वाधिक कारण माना जाता है। अगर ब्रैंड रिश्ता बनाना है तो कम्युनिकेशन को आप कैसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद के शिकागो लेक्चर को  कम्युनिकेशन का एक उत्कृष्ट  उदाहरण माना जाता है जिसके जरिये उन्होंने विश्व के अन्य देशों के निवासियों को अपना बना लिया था। यही रिश्ता बनाना ब्रैंडिंग का मूल मंत्र है। आप अपने आप को कम्युनिकेशन  स्किल पर कितना प्रतिशत मार्क्स देंगे ?
आज यहीं समाप्त करते हैं। हर त्योहार का अपना ब्रैंड है। ईस्टर क्रिसमस से अलग है जैसे मुहर्रम ईद से। दशहरा अच्छे का बुरे पर जीत की ख़ुशी है तो दीपावली घर वापस आने की ख़ुशी। आपको आगाम शुभकामनायें। आनंद लीजिये संभल कर-यह आपके ब्रैंड से आपके प्राइमरी सर्कल के सदस्यों की चाहत होगी। वादा कीजिये कि एक बार आपने कमिटमेंट कर दी तो आप … .....


गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

नमस्कार।  शॉपिंग किया आपने -आने वाले फेस्टिव समय के लिए ? क्या खरीदेंगे इस बार ?कितने ब्रैंड्स के चॉइस है हम सबके पास। इस ज़माने में हर इंसान सर से पैर तक अपने आप को ब्रैंड्स के ज़रिये सजाता है।

क्या ब्रैंड्स में आपकी दिलचस्पी है ?मेरे लिए ब्रैंड्स का अध्यन एक महत्वपूर्ण विषय है जो कि मुझे हर वक़्त चैलेंज करता है। मैंने सोचा कि आज आपके साथ ब्रैंड्स के विषय में थोड़ा चर्चा करूँ।

आप में कई लोगों ने ब्रैंड के बारे में पढ़ा होगा और आप उनके डेफिनिशन से वाकिफ होंगे। किसी भी ब्रैंड का एक नाम होता है ; परिचय होता है और किसी भी ब्रैंड से  उनके विषय में जानने वाले लोगों का एक एक्सपेक्टेशन या उम्मीद होता है। जब तक ब्रैंड इस उम्मीद पर खरा उतरता है तब तक उसकी चाहत बरक़रार रहती है अन्यथा लोग उस ब्रैंड का साथ छोड़ देते है।

अगर आप थोड़ा सा और सोचें तो ब्रैंड एक रिलेशनशिप या रिश्ता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह रिश्ता एक चॉइस का रिश्ता है। अच्छा लगना और पसंद करना या नापसंद करना दोनों चॉइस का रिश्ता है। इसी कारण केवल सबसे सस्ता ब्रैंड ही केवल नहीं बिकता है। उदाहरण स्वरुप आप मोबाइल हैण्डसेट के ब्रैंड्स को देखिये।  कुछ हज़ार रुपयों से लेकर लाख  रुपये से ऊपर का भी मोबाइल हैंडसेट्स मार्केट में उपलब्ध हैं।

आप अपने हिंदी सिनेमा के कलाकारों को देखिये। हर कलाकार की एक पहचान या आइडेंटिटी या पर्सनालिटी है। हमारी उम्मीदें उनसे उनके इस पर्सनालिटी पर निर्भर करता है। दीपिका से हमारी उम्मीद विद्या से अलग है जैसे कि सलमान का अनुपम  से। कुछ ब्रैंड पर्सनालिटीज सिमिलर हो सकते हैं ; सेम नहीं। इसी कारण जो कलाकार अलग -अलग किरदार निभा सकता है उतना ही उसे वर्सटाइल माना जाता है।

अगर आप देवी -देवताओं को देख़ो तो शिव जी गणेश जी से कहीं अलग है। उनके भक्त भी अलग हैं।  भक्तों का करैक्टर भी सिमिलर होता है।

कभी आपने ये महसूस किया है कि आप भी एक ब्रैंड हेँ ? आपका नाम है ;परिचय है ; लोगों के साथ रिश्ता है -वो सब कुछ है आप में जो कि किसी भी ब्रैंड में है ! आप अपने ब्रैंड को डेवेलप करने के लिए क्या कर रहें हैं ? आप में से कुछ ये सोच रहे होंगे कि जिन ब्रैंड्स का ज़िक्र मैंने किया है, सब फेमस या प्रसिद्ध ब्रैंड्स हैं। आप सक्सेस या सफलता को प्रसिद्धता से कंफ्यूज मत कीजिये।  प्रसिद्ध का तात्पर्य होता है कि अधिक लोगों ने उनके बारे में सुना है। गलत काम के लिए भी तो इंसान प्रसिद्ध बन जाता है। क्या ऐसे ब्रैंड से आप रिश्ता जोड़ना चाहोगे ?

आप में क्या है जो औरों में नहीं ?यही आपका 'ब्रैंड आइडेंटिटी ' या परिचय बन सकता है। "नेवर अंडर एस्टीमेट द पॉवर ऑफ़ द कॉमन मैन " !हम सब कॉमन होते हुए भी कैसे अन कॉमन बन सकते हैं? यही अपने खुद के ब्रैंड को आगे बढ़ाने का मंत्र है। जानना चाहते हैं ?अगले महीने के प्रथम दिन फिर आपसे मुलाकात होगी। तब इस संधर्व में हम आलोचना करेंगे.

तब तक खुश रहिए। नवरात्री, दुर्गा पूजा और दशेहरा की अग्रिम शुभकामनाएं आपको और आपके अपनों को। दिवाली से पहले फिर मिलेंगे। 

बुधवार, 30 सितंबर 2015

अगर आप सोचे तोह किसी भी इंसान के जन्म लेने के साथ ही केवल एक चीज़ सुनिश्चित होता है -मृत्यु !इस जनम से मृत्यु तक का रास्ता मेरे अनुसार 'जीवन ' कहलाता है। और जिस तरह से हम इस रास्ते का सफर निभाते हैं वह 'ज़िन्दगी 'है।
"यह जीना भी कोई जीना है लल्लू ?"-Mr Natwarlal फिल्म में बच्चों को हमारे बॉलीवुड के 'सहनशाह 'ने पूछा था। आपने कभी अपने ज़िन्दगी के बारे में ऐसा सोचा है ?कभी आपने सोचा है कि आप अपने ज़िन्दगी से और ज़्यादा कैसे पा सकते हो ? जानना चाहते हो?
मैं कोशिश करता हूँ अपने ज़िन्दगी से अधिक पाने का।  जिन चीज़ों से मुझे फायदा मिला है उन्हें मैं आपके साथ share करना चाहता हूँ।
शुरुआत करता हूँ मेरे ज़िंदगी जीने के philosophy से -Life is limited. Live life unlimited .
इस दर्शन को कामयाब करने के लिए मैं पाँच guidelines के अन्तर्गत जीता हूँ।

  1. Think simple . Live simple .Keep life simple . ज़िन्दगी मेँ कठिनाइयाँ एक अहम अंग है। ऐसा कोई इंसान नहीं है जो कि अपने जीवन में कभी भी कोई कठिनाई का सामना नहीं किया हो।  कमजोर दिल वाले अपने किसमत को कोसते हैं ; पॉजिटिव सोच वाले उसे एक opportunity की हैसियत से देखते हैं। देखने इस अंदाज़ पर हार या जीत निर्भर करता है। मेरा साधारण दर्शन यह फरमाता है कि ऐसा कुछ हम ना करें जिससे अपने जीवन में complexity पैदा हो। क्यों 'आ बैल मुझे मार ' का प्रयत्न करे। किसी भी इंसान के लिए ज़िन्दगी उतना ही सरल है जितना वो खुद उसे बना सकता है। आपकी ज़िन्दगी कैसी है -सरल या कठिन ?
  2. ज़िन्दगी को सरल बनाने के लिए पहली ज़रुरत है कि आप यह तय कर लो कि आपको क्या नहीं चाहिए ? दिल मांगे more -यह सत्य है। हम जो चाहते हैं उसका लिस्ट काफी लंबा और unending होता है। नहीं चाहते हैं हर समय एक छोटी तमन्ना होती है। लेकिन इसे समझना आवश्यक है क्योंकि आप उन चीज़ों को नहीं चाहते हैं जिससे आपको दुःख होता है या आपको बुरा लगता है। एक उदाहरण देता हूँ अपनी ज़िन्दगी से। जब मेरी शादी के लिए मेरे माता-पिता ने लड़की ढूढ़ना शुरू किये -जी हाँ मुझमें लड़की पटाने की औकात नहीं थी -तब मैंने उन्हें एक छोटा सा लिस्ट दिया था कि मैं अपने जीवन साथी में क्या नहीं चाहता हूँ। २३ सालों के बाद मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि मैंने सठीक निर्णय लिया  था। 
  3. तीसरा दर्शन पिछले वाले से जुड़ा हुआ है -अपने लोभ को काबू में रखना। सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी तो हम सबों ने पढ़ा है। क्या हमने  उसकी सीख को अपनाया है ?लोभ एक खतरनाक साथी है। शुरू की सफलता हमें और भी लोभी बना देती है। एक दिन वही जीवन को इतना काम्प्लेक्स बना देती है कि आगे का रास्ता और सफर दोनों अंधकारमय होता है। कृपया आप greed और ambition को मिक्स मत कीजियेगा। लोभ शार्ट-कट रास्ता है तो आपकी आगे बढ़ने कि अकांक्षा आपको जीने का सबसे महत्वपूर्ण वज़ह बन सकता है। अपनी आकांक्षाओ को हासिल करने के लिए मेहनत आवश्यक है। हासिल करने पर ख़ुशी और satisfaction आपसे कोई छीन नहीं सकता है। यही आपको जीने का नया प्रोत्साहन देता है। आपके जीवन में हासिल करने का वर्तमान अकांक्षा कौन सा है ?
  4. एक इंजीनियरिंग कॉलेज के कॉन्वोकेशन के दरम्यान छात्रों ,अभिभाको और शिक्षक के समारोह को संबोधन करते हुए , राहुल द्रविड़ ने कहा था कि हर इंसान को अपने ज़िन्दगी के शिखर का चयन करना होगा और उस पर मेहनत के ज़रिये विजय पाना होगा। इसे हम सफलता कहते हैं। हम अपने ज़िन्दगी में सबसे पहले खुद के पास जबाबदेही हैं। बाकी सब लोगों के पास उसके बाद। अपनी दिल कि बात सुनो। कभी अपने दिल की बात को नज़रअंदाज़ करते हुए अपने दिमाग की सुनते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं। आज कल जिस मर्डर का हर मीडिया में सबसे अधिक चर्चा हो रहा उस माँ के दिल ने क्या अपनी बेटी के हत्या के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया ?मैं दावे के साथ कह सकता हूँ -नहीं ?दिमाग ने ज़रूर अलग सन्देश दिया होगा !
  5. अंतिम चेष्टा जो मैं करता हूँ वह है ज़िन्दगी में और अपनी  ज़िन्दगी के साथ खुश रहना। पहले यह समझना होगा ख़ुशी कैसे मिलती है ? मेरे लिए दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना ;लोगों को अपने ट्रेनिंग के माध्यम से उनकी ज़िन्दगी से पाने में सहयोग करना ;नयी चीज़ों को सीखना ;ब्रिज -जो कि ताश का एक दिमागी खेल है -खेलना और अच्छा खाना पीना मुझे ख़ुशी देती है। मैं अपने परिवार के सोम से शुक्रवार तक ज़्यादा समय बिता पाता हूँ। परंतु जब मैं शहर में रहता हूँ तो सुबह की चाय अपने अर्धांगिनी के साथ पीता हूँ और शनिवार शाम से मेरा समय रविवार रात तक परिवार के साथ बिताता हूँ।कोशिश करता हूँ उन सब चीज़ों को करने का जो कि परिवार के लोगों को आनंद देता है। और इन चीज़ों में मैं उतने ही उत्साह के साथ शामिल होता हूँ ,जितना कि काम के समय। यह महत्वपूर्ण है आनंद के लिए।  बच्चो की सफलता पर भी मुझे बेहद ख़ुशी होती है। मेरे छोटे बेटे ने इस साल ८९%नंबर के साथ दसवीं कक्षा का बोर्ड परीक्षा पास किया है। आज के ज़माने में अति साधारण रिजल्ट है। मेरा बेटा भी उदास था क्योंकि थोड़े से नंबर के कारण उसे ९०%नहीं मिला। मैंने उसकी सफलता पर दोस्तों को घर पर निमंत्रित करके सेलिब्रेट किया। दो कारण थे सेलिब्रेट करने के। प्रथम -pre-board परीक्षा में मेरे बेटे को केवल ६३%नंबर मिले थे। बेटेने कितनी तरक्की की आप सोचिये !२५ प्रतिशत कि तरक्की मैंने तो अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं किया है। आपने किया है तो ज़रूर मुझे बताइएगा। दूसरा कारण मेरे सेलिब्रेशन का था अपने बेटे को यह समझाना कि लाखों बच्चे ऐसे होंगे जिन्हे उससे कम नंबर मिले होंगे। किसी के पास इस दुनिया में सब कुछ नहीं है। जो है उससे खुश रहना और उसे  भविष्य में मेहनत के ज़रिये और बेहतर करना ही किसी भी व्यक्ति को सुखी बनाता है। केवल इतना ख्याल रखिये कि आपकी ख़ुशी का कारण और जरिया किसी और के दुःख का कारण ना बन जाए !
आप शायद सोच रहे होंगे कि आपने अपने जीवन को किसी दूसरे तरीके से जिया है। अब क्या करें ?अतीत को एक सीख की हैसियत से देखिये। अगर सफलता से वंचित हुए हैं तो निराश मत होईये और अपने किस्मत को कृपया ना कोसें। कोई फायदा नहीं है। आप अपने अतीत को कभी बदल नहीं सकते हैं। यह सोचिये कि आप इस वक़्त से क्या कर सकते जिससे आप अपना  एक नया भविष्य लिख सकते हैं!मैँ केवल इतना कह सकता हूँ कि अगर आपको ऐसी नई सफलता हासिल करने की चाहत हो जिसे कभी पहले ना पाया हो ;तो आपको वो प्रयास करने पड़ेंगे जो कभी भी आपने अपनी ज़िन्दगी में नहीं किया है !और इसके लिए आपको असफलता के डर से निकलना पड़ेगा। क्या कभी किसी ने डर के साथ जी कर ज़िन्दगी का भरपूर आनंद उठाया है ? फिर डर किस बात का ?

खुश रहिये। और दूसरों के खुशियों का ध्यान रखिये। इसी में आपकी ख़ुशी है।



रविवार, 2 अगस्त 2015

ज़िंदगी में कई चीज़ हम पहली बार करते हैं। कभी ख़ुशी होती है और कभी हमें अपने आप को दोषी भी लगता हय. याद है वह दिन जिस दिन आपने पहली बार अपने माता पिता या दोस्तों के साथ झूठ बोला था। ख़ुशी भी हुई होगी जब आपने पहली बार साईकल चलाना सीखा होगा।

क्या आप जब भी कोई नयी सफलता हासिल करते हो तो उसे celebrate करते हो ? चाहे वह कितनी भी मामूली या छोटी सफलता हो ? अपने ज़िंदगी से अधिक पाने के लिए ये अति आवश्यक है।  इन्ही ख़ुशियों के माध्यम से हम अपनी ज़िंदगी में, अपने आप में energy create करते है। ये आपके साथ दूसरों को भी प्रभावित करता है। आपके ज़िंदगी में आस पास अगर लोग खुश हो तो एक अलग momentum बनता है जो कि आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

आज का दिन मेरे लिए एक ऐसा दिन है।  आज मेरा लिखा हुआ article पहली बार I Next नामक हिंदी
पत्रिका में छपा है। मैं बहुत खुश हूँ अपनी इस प्रयास पर। धन्यवाद करता हूँ पत्रिका के समपादकीय टीम को जिन्होंने मेरे विचारों को अपने पाठकों के लिए उपयुक्त समझा।

कितने लोग पड़ेंगे , कितनो को अच्छा लगेगा मुझे पता नहीं। मैं इतना समझता हूँ कि ये मेरे ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण मोड़ है जो कि मुझे एक नया motivation दे रही है और मुझे लिखने को प्रोतसाहित कर रही है।

क्या आप भी अपने ज़िन्दगी के सफर में होने वाले घटनाओ से इतना ही आनंद पाते हैं और प्रोतसाहित होते हैं ? होकर देखिये आप अपने जीवन से और बहुत कुछ पा सकेंगे।