रविवार, 15 नवंबर 2015

त्योहार का समय कैसा बीत रहा है आपका ?हमारे देश का एक महत्वपुर्ण त्योहार , दशहरा, लोग रावण का पुतला जला कर करते हैं। अच्छे का बुरे पर विजय का यह सबसे बड़ा प्रतिक है। मैं पिछले दिनों विदेश के सफर पर था। लंबे सफर का बेहतरीन दोस्त हवाई जहाज का एंटरटेनमेंट चैनल है -मैंने इस सफर के दौरान तीन फिल्में देखी-दो हिंदी और एक अंग्रेजी। तीनो फिल्मों में हीरो चाहे कुछ भी करे दर्शकों का समर्थन और सहानुभुति हर वक़्त हीरो के पक्ष में होता है। मेरे अनुसार हीरो नेगेटिव भुमिका में भी ऐसा स्क्रिप्ट पर राज़ी होता है जिसमे उसका हीरो का इमेज हर वक़्त बरक़रार रहे। क्योंकि यही उसका अपने फैंस के साथ रिश्ता है। हर फिल्म के ज़रिये हीरो यह रिश्ता और मज़बूत करने का प्रयास करता है। यही रिश्ता उसका ब्रैंड और उसके बारे में फैंस का सोच उसका ब्रैंड इमेज है।
पिछले महीने मैंने इसी कॉलम में ब्रैंड को एक रिश्ता बताया था। रिश्ता चॉइस का। मजबूरी का नहीं। आज और अगले दो महीनो में मैं ब्रैंड्स के CDE के बारे में आपसे बातचीत करूँगा। Creation -Development -Engagement किसी भी ब्रैंड का तीन मूल प्रयास है। आज मैं आपसे Creation के विषय में बातचीत करूँगा।
पिछले महीने  मैंने अपने आपको एक ब्रैंड के हैसियत से सोचने के लिए अनुरोध किया था।  आपने अपने विषय में सोचा है ? क्या सोचा है आपने ? किसी भी ब्रैंड के लिए तीन सत्य का मूल्यांकन करना अति आवश्यक है :

  • अपने आपको एक ब्रैंड के हैसियत से आप क्या सोचते हैं से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि आपको जानने वाले आपके विषय में क्या सोचते हैं। 
  • मज़े वाली बात यह है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचेंगे यह सम्पूर्ण आप पर निर्भर करता है। 
  • अगर आप ब्रैंड को रिश्ता मानते है तो इस बात से आप जरूर सहमत होंगे कि रिश्ते बनाने में रिश्ता तोड़ने के वनिस्पत कहीं ज़्यादा समय और प्रयास लगता है। ब्रैंड बनने में बहुत समय लगता है , टूटने में कुछ नही। 
अपना ब्रैंड बनाने के लिए आप क्या -क्या कर सकते हैं ?
पहली बात - कोई भी ऐसा ब्रैंड नहीं है जो कि हर कोई को भाता है। हर ब्रैंड का एक अपना रिलेशनशिप सर्कल होता है। हर इंसान का तीन सर्कल होता है -प्राइमरी ,सेकेंडरी और टर्शियरी। अपने इर्द गिर्द लोगों पर गौर फरमाइए -परिवार , कुछ दोस्त, रिश्तेदार और कुछ लोग जिनके साथ आपका प्रोफेशनल रिश्ता है आपके प्राइमरी सर्कल के सदस्य हैं। सेकंडरी सर्कल में इसी तरह के वो लोग हैं जिनके साथ आप उतने करीब नहीं हैं। टर्शियरी में इस तरह के लोग आते हैं जिनसे आपको किसी कारण रिश्ता जोड़ना परता है। जैसे हमारी उम्र बढ़ती है इन सर्कल्स के लोग बदल जाते हैं। स्कूल से कॉलेज से नौकरी ;बचपन से युथ से शादी शुदा -ज़िन्दगी के साथ हमारे रिश्ते बदलते रहते हैं। आपके सफर में आप इस वक़्त किस मुकाम पर हैं ? -आपके रिलेशनशिप सर्कल में कौन किस जगह है ?याद रखिएगा दुनिया में वही ब्रैंड हुआ है जिसने अपने रिलेशनशिप सर्कल को सही समझा है और रिश्ता बनाने का सच्चा प्रयास किया है। आपका अपना I Next इसका एक बेहतरीन मिसाल है।
दूसरी बात - इस रिश्ते में मेरा क्या है ? कहा जाता है कि माता -पिता का अपने बच्चों के प्रति प्यार निःस्वार्थ होता है। इसके अलावा हर रिश्ते का कोई न कोई मकसद होता है। आपका खुद का ब्रैंड बनाने के लिए आप जिनसे रिश्ता बनाना चाहते हैं उनका इस रिश्ते से क्या फायदा है ? ब्रैंड बनाते वक़्त आपको अपने साथ उनके लिए भी सोचना पड़ेगा जिनके दिल में अपना जगह बनाना चाहते हैं। मैं आपके साथ एक रिश्ता बनाने का प्रयत्न कर रहा हूँ। आपको इससे क्या मिल रहा है ? मेरी चेष्टा है कि अपने ज़िन्दगी के तज़ुर्बे से मिले सीख आपके साथ शेयर करूँ जिससे आपको अपनी ज़िन्दगी के सफर में अधिक आनंद मिले। क्या मैंने कुछ सफलता पाया है ?इस समय आप सभी मेरे प्राइमरी सर्कल के सदस्य हैं। जिनको आप मेरे बारे में बताएँगे वो मेरे लिए सेकेंडरी सर्कल में हैं।
तीसरी बात -आपका अपने ब्रैंड का परिचय या आइडेंटिटी क्या होगा ? इस सफर में मुझे एक दिलचस्प व्यक्ति से मिलने का मौका मिला। उन्होंने अपना नाम Rav Kalsi बताया। भारतीय दिखने वाला यह व्यक्ति बचपन से विदेश का  निवासी है। मैं  Rav शब्द का अर्थ समझ नहीं पा रहा था। पूछने पर उन्होंने हसते हुए मुझे समझाया -उनका नाम रविन्द्र है जो कि Rav बना दिया है उन्होंने। मैंने मज़ाक में उनको धन्यवाद कहा मेरी गलतफैमी दूर करने के लिए -मैं तो Rav को रावण का शोर्ट फॉर्म समझ रहा था!आपने लोगों को अपने बच्चों का नाम राम या लक्ष्मण रखते हुए सुना होगा ;रावण , कभी नहीं। यही राम और रावण के ब्रैंड का फर्क है। क्या आपको अपने नाम पर गर्व है ?
मैंने आपके साथ अपने प्रथम मुलाकात में इस बात की चर्चा की थी कि हम सबका नाम , उम्र इत्यादि हमारी पहचान है -हम नहीं। हम कैसे इंसान हैं हमारे नाम से नहीं कर्म से जाने जाते हैं। खुद को समझना और अपनी काबिलियत को ध्यान में रखते हुए अपने ब्रैंड आइडेंटिटी को निर्धारण करना एक बुद्धिमान इंसान की निशानी है। अक्सर लोग कौआ होकर हंस कि चाल चलने की कोशिश में व्यर्थ होते हैं। आपकी सफलता आप बनके रहने में ही है। हर इंसान का एक इंडिविजुअलिटी है -वही उसका ब्रैंड आइडेंटिटी निर्धारित करता है। एक उदाहरण -
राहुल द्रविड़ ने वीरेंद्र सेहवाग के साथ कई बड़ी साझेदारियां निभाई। पाकिस्तान में एक टेस्ट मैच में दोनों ने पहले विकेट के लिए एक बार ४०० से अधिक रनों की एक यादगार साझेदारी निभायी थी। मैच के अंत में राहुल ने संवादिको को एक बहुमुल्य बात कही -"मैं सेहवाग नहीं हूँ ;ना ही  उसके तरह उतनी जल्दी रन बनाने की क्षमता मुझमे है। दूसरी छोर पर खड़े होकर मैंने एक हाइलाइट्स का आनंद उठाया और अपनी काबिलियत के अनुसार बल्लेबाज़ी की-केवल  सेहवाग को ज़्यादा गेंदों का सामना करने का मौका दिया। "
कभी खुद को बेहतर समझने के लिए किसी दूसरे का सहायता लेना पर सकता है। ऐसे व्यक्ति से सहायता लीजिये जो कि निःस्वार्थ आपकी सहायता करे। अपने प्राइमरी सर्कल का चयन सावधानी से कीजिये। क्योंकि  अंग्रेज़ी में एक कहावत है - A man is known by the company he keeps . हर इंसान 'अपने जैसों 'का संगत अधिक पसंद करता है।
चौथी बात -आपका ब्रैंड क्या वादा करता है ?इसे हम ब्रैंड प्रॉमिस कहते हैं। जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा। जैसे -जैसे आपका ब्रैंड बनता जाएगा , लोग आपसे उम्मीद करने लगेंगे। कपिल शर्मा टीवी पे दिखे या दोस्तों के बीच हो -हर वक़्त सब यही उम्मीद करते हैं कि वह लोगों को हसायेगा। मेरा नाम जोकर फ्लिम के ज़रिये राज कपूर ने जोकर के व्यक्तिगत जीवन के परिहास को वाकायदा दर्शाया है। आप अपने मित्रों में कुछ पर औरो कि तुलना में अधिक भरोसा करते होंगे। क्यों ? जिन पर आपका विश्वास ज़्यादा है ,उसने अपना  ब्रैंड प्रॉमिस अर्जन किया है अपने कर्तव्य से। आप किस प्रॉमिस के लिए जाने जायेंगे ?तय कीजिये। इस निर्णय के बिना आपका खुद का ब्रैंड बन नहीं सकता।
पाँचवी बात -"One never gets a second chance to create the first impression ."मेरे एक विदेशी बॉस ने मुझे यह बात १९९२ के शुरुआत में बताई थी। जितने रिलेशनशिप्स सफलता पूर्वक बनते उतना ही ब्रैंड मजबूत बनता है। इस सफर कई अनजान साथी बनेंगे ;कितने साथी साथ छोड़ देंगे। किसी के साथ आपका पहला इम्प्रेशन दो चीज़ों पर निर्भर करता है -आपका ग्रूमिंग और आपका कम्युनिकेशन। ग्रूमिंग केवल आपका वेश भुषा ही नहीं है -आपके बाल , पर्सोनल हाइजीन ,खड़े होने का स्टाइल -सब कुछ ग्रूमिंग का एक अभिन्न अंग है। गोविंदा का ग्रूमिंग अनिल कपुर से भिन्न है। उतने रंग -बिरंगी कपड़ो के बिना हम गोविंदा को सोच ही नहीं सकते हैं -हम उनके उसी रूप को सराहते हैं। क्या हम और आप उतने रंगीन हैं ?
कम्युनिकेशन ज़िंदगी का एक अति महत्वपूर्ण स्किल है। भाषा पर दखल ही केवल एक इफेक्टिव कम्यूनिकेटर नहीं बनाता है। हम भविष्य में कभी आपके साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे। फिलहाल इतना बताना ज़रूरी है कि आप जो बोलते हैं वह महत्वपूर्ण है ;उससे कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि आप किस तरह से बोल रहे हैं। अनुपयुक्त कम्युनिकेशन रिश्ते टूटने का  सर्वाधिक कारण माना जाता है। अगर ब्रैंड रिश्ता बनाना है तो कम्युनिकेशन को आप कैसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद के शिकागो लेक्चर को  कम्युनिकेशन का एक उत्कृष्ट  उदाहरण माना जाता है जिसके जरिये उन्होंने विश्व के अन्य देशों के निवासियों को अपना बना लिया था। यही रिश्ता बनाना ब्रैंडिंग का मूल मंत्र है। आप अपने आप को कम्युनिकेशन  स्किल पर कितना प्रतिशत मार्क्स देंगे ?
आज यहीं समाप्त करते हैं। हर त्योहार का अपना ब्रैंड है। ईस्टर क्रिसमस से अलग है जैसे मुहर्रम ईद से। दशहरा अच्छे का बुरे पर जीत की ख़ुशी है तो दीपावली घर वापस आने की ख़ुशी। आपको आगाम शुभकामनायें। आनंद लीजिये संभल कर-यह आपके ब्रैंड से आपके प्राइमरी सर्कल के सदस्यों की चाहत होगी। वादा कीजिये कि एक बार आपने कमिटमेंट कर दी तो आप … .....