शुक्रवार, 31 मार्च 2017

नमस्कार। आपका समय कैसा बीत रहा है इस साल ? अक्सर हम लोगों से इस तरह का प्रश्न करते हैं। सही में समय अपने आप बीत जाता है। रुकता नहीं है किसी के लिए। ना ही किसी का इंतज़ार करता है। अच्छा समय समझने के पहले गुज़र जाता है ;बुरा गुजरने का नाम ही नहीं लेता है।
समय एकमात्र बहुमूल्य सम्पद है जो की हर इंसान के पास समान है -दिन के २४ घंटे। इसका सदुपयोग ही हम सबको एक दूसरे से अलग करता है। जिन सफल इंसानो की हम पूजा करते हैं ,उनके पास भी दिन के चौबीस घंटे हैं -आपके पास ,मेरे पास भी। 
आपने शायद यह भी महसूस किया होगा कि आप अपने आप जिस तरह से आज अपना २४ घंटे गुज़ार रहें हैं ; वह पिछले पॉँच साल में कितना बदल चुका है। बदलेगा ही क्योंकि दुनिया बदल रही है। समय बदल रहा है। सोच बदल रहे हैं। और ज़िन्दगी के प्रति हमरा अंदाज़ बदल रहा है। इस द्रुत बदलते हुए समय केवल हमारे हर किसीके दिन का २४ घंटे उतने के उतने ही हैं और रहेंगे भी। हर कोई अपने पास समय के अभाव को महसूस जरूर कर रहा है। क्या आप हमसे सहमत हैं ?
अक्सर मुझे कई लोगों ने उन्हें टाइम मैनेजमेंट सीखाने का ज़िक्र किया है। मैं उनको सहज भाषा में यह समझाता हूँ कि Time cannot be managed . We have to manage ourselves to manage time better इसका तात्पर्य यह है कि समय को मैनेज करने का प्रयास वृथा है -घड़ी का कांटा किसी के लिए रुकता नहीं है। हम खुद को और हम क्या कर रहे हैं उस पर हमारे समय का सदुपयोग निर्भर करता है। 
क्या आप ज़िन्दगी में कुछ ऐसे लोगों से मिले हैं जिन्हें हर वक़्त अपने लिए क्वालिटी समय रहता है ?ईर्ष्या होती है इन लोगों से ?इतना कुछ करते हैं ; इतने सफल हैं लेकिन फिर भी खुद के पास इतना समय है। क्या करते हैं ये लोग ?
  1. ऐसे लोग उसी काम को करने पर अपना समय बीताते हैं जो की उनकी जिम्मेवारी है। दूसरों का नहीं। इसका तात्पर्य यह होता है कि अपना और दूसरों का जिम्मेवारी के बारे में दोनों की समझ सही है। जैसे की एक मैनेजर को अपना काम पर समय बिताना चाहिए ना कि अपने सहयोगी के काम पर। इसके लिए  जरूरी है की मैनेजर और सहयोगी को एक दूसरे के काम के विषय में समझ ठीक हो। 
  2. कुछ लोग क्या करना है लिख कर रखते हैं -इसे 'To Do' लिस्ट कहा जाता है। लिस्ट तो सदियों से बनता आ रहा है। लेकिन लिस्ट का प्रयोग समय के साथ बदल रहा है क्या ?इस साल के शुरुआत से मैंने एक प्रयोग किया है इस विषय में जो कि मुझे काफी मदत कर रहा है। पहले इस लिस्ट में जो काम मुझे करना है उसके साथ उस काम को समाप्त करने के लिए अंदाज़ कितना समय लगना चाहिए यह मैं नहीं लिखता था। इसके कारण अक्सर मैं इस लिस्ट के किसी -किसी काम को करने में ज़रूरत से ज़्यादा समय दे डालता था जिसके कारण कई और काम को करने के लिए मेरे पास समय कम मिलता था। ज़ल्दबाज़ी में गलतियां ज़्यादा होती थी और क्वालिटी भी घट जाता था। इसी लेख के विषय में इसका एक उदाहरण पेश करता हूँ। जनवरी महीने से मैंने इस लेख को लिखने के लिए दो घंटे का समय निर्धारण किया है। दूसरा निर्णय इस विषय में यह है कि मैं सुबह इस लेख को लिखता हूँ चूँकि उस समय दिमाग सबसे अधिक चलता है और सोच जल्दी और बेहतर होता है। तब से मैं दो घंटे में यह लेख लिख डालता हूँ। 
  3. कुछ परिस्थितियां आपके नियंत्रण के बाहर होती हैं जो कि आपके समय को खा जाती है। काफी लोग इसके कारण विचलित हो जाते हैं और इसके कारण कुछ और समय बर्बाद करते हैं। कुछ फायदा नहीं होता है ,ज़िन्दगी में जिस पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है, उस पर नियंत्रण करने का प्रयत्न ही समय का अपचय है। इस वक़्त ,यह लेख लिखते हूए हमारा इन्टरनेट अत्यधिक धीमे गति से चल रहा है जिसके कारण मुझे दुगना समय लग रहा है। दो घंटे पूरे हो चुके हैं मेरे लिए। इस धीमी गति के इन्टरनेट के वजह से आज और लिखना समय का सदुपयोग नहीं है। अगले महीने और कई तरीकों का ज़िक्र करूँगा , खुद को बेहतर मैनेज करने के लिए ताकि आपका खुद के  समय का प्रयोग में उन्नति आए। आखिर २४ घंटे का आनंद तो ज़्यादा लेना पड़ेगा। है ना ?
कैसा लगा मेरे इस नए साल का प्रयास। ज़रूर समय निकालिए मुझसे फेसबुक पर मिलने के लिए। इंतज़ार करूंगा। आपका और आपके समय का। मेरे लिए। खुश रहिए। 

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

कैसा रहा जनवरी का महीना ? कुछ सोचा है आपने अपने विषय में ,इस नए साल के अवसर पर ? कोई संकल्प किया है तरक्की का ? मैंने किया है , अपने आप से। मैं इस साल के शुरू से अपने समय का बेहतर प्रयोग करने का कोशिश कर रहा हूँ। कुछ हद तक सफलता भी मिली है। काफी तरक्की करनी पड़ेगी ,अभी भी। अपने इस प्रयास के विषय में अगले महीने के इस लेख में लिखुंगा। इस बार ज़िक्र करना चाहता हूँ एक इंसान के संकल्प के विषय में। इस फिल्म ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। सोचने और सीखने में मजबूर किया है।
एक पिता का संकल्प अपने बेटी के माध्यम से देश के लिए स्वर्ण पदक। यह सत्य घटना पर आधारित है। मेरा प्रणाम उस पिता को ;उनके बेटियों को ; और जिसका भूमिका बहुत ही अहम् रहा है बेटियों की माँ को। हमने काफी कुछ सीखा है आप लोगों से जो की आज के कर्म जीवन में सफलता पाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। धन्यवाद तहे दिल से। ग्रहण कीजियेगा और मेरे जैसे आम लोगों के लिए हर वक़्त एक मिसाल बन कर रहिएगा।
मैंने कई सारी बातें सीखी हैं। दस महत्वपूर्ण सीख का जिक्र करूँगा। आपने अगर और सीखा है ,फेसबुक के माध्यम से मुझे जरूर बताइएगा।

  1. डर पर विजय पाना होगा -कोई भी नए प्रयास के लिए अपने दिल से डर को निकाल फेकना होगा। 'कुछ तो लोग कहेंगे ,लोगो का काम है कहना '-चाहे दुनिया भी कहे आपको अपने विश्वास पर कायम रहना पड़ेगा। यह तब और जरूरत है , जब आप ऐसा कुछ प्रयास कर रहें है जो किसीने पहले कभी नहीं किया हो। जैसे बेटियों का कुश्ती के अखाड़े को अपनाना। 
  2. डिसिप्लिन -इसके बारे में मैंने पिछले कई लेखों में ज़िक्र किया है। डिसिप्लिन के बिना कोई सफलता नहीं मिल सकती है। इस फिल्म ने डिसिप्लिन का एक नया मापदंड दिया है -त्याग का। और लोगों से आगे रहने के लिए कई आराम और आनंद देने वाले चीज़ों की क़ुरबानी देनी पड़ेगी। आज हमारे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान इसके सबसे उत्कृष्ट मिसाल हैं। 
  3. सही और गलत का सठीक निर्णय -बेटियों ने अपने पापा को समझाने के लिए काफी सारी कठिनाईयों का कारण पेश किया। स्कूल में अन्य बच्चो का टिप्पणी ;मोहल्ले में लोगों का पर हँसना ; लंबे बालों का अखाड़े का मिट्टी के कारण गंदा हो जाना। पापा ने और सब चीज़ों को नज़रंदाज़ किया। केवल बाल कटवा दिए। 
  4. कोई भी आपकी ज़िन्दगी में नई मोर ला सकता है -आपको सजग रहना पड़ेगा। सुनना पड़ेगा। याद है बेटियों की दोस्त की शादी ?यहाँ दो बेटियाँ परेशान थी अपने पापा के तानाशाही से; उनके कठीन संकल्प से बेटियों को सफल कुश्तीगीर बनाने का ; और नई नवेली दुल्हन दुखी थी क्योंकि उनके पापा ने केवल उनकी जल्दी शादी की ही प्रयास की थी। यही अहसास दोनों बेटीयों के जिंदगी का सबसे अहम् मोड़ बन गया। इसके बाद उनका संकल्प उनके पिता के संकल्प के साथ जुड़ गया। आपके जिंदगी में कोई ऐसा मोड़ आया है , अब तक ?
  5. गंतव्य के निर्धारण के साथ -साथ वहाँ तक पहुँचने का सफर भी तय कर लेना चाहिए -कई बाधाएं आयेंगी सफर के दौरान। निराशा इस सफर का एक अभिन्न अंग है। मंजिल तक वही पहुँचता है जो कि रास्ते में आए कठिनाई का हौसले के साथ सामना करता है ;गलतियों से सीखता है -मुर्झा नहीं जाता है और अपने विश्वास पर अटूट रहता है। संकल्प ही नाव को किनारे तक पहुँचाता है। 
  6. दूसरोँ का साथ जरूरी है -चाहे वह माँ का निस्वार्थ साथ हो या मुर्गी बेचने वाले का व्यवसायिक निर्णय। साथ वही निभाता है जो आपके काबिलियत पर विश्वास करता है। आपके सफलता से उसका क्या ताल्लुक है ?
  7. हट के सोचना जरूरी है -समाधान ढूढ़ने के लिए। गद्दा तो गद्दा ही होता है जी !ना मिल सके तो क्या हुआ -फ़ोन पर भी तो कोचिंग हो सकता है। ईरादा सठीक है तो समाधान जरूर मिल जाएगा। अलग सोच में अकसर समाधान छुपा रहता है। 
  8. जिनके पास क्षमता है उनसे दुशमनी लेने से कोई फायदा नहीं होता है -जिनके पास आपसे ज्यादा क्षमता है उनका अगर दिल चाहे तो आपके रास्ते का काँटा जरूर बन सकते हैं। आपके मंजिल तक पहुँचने के लिए ऐसा कुछ मत कीजिये जो कि आपको अपने मार्ग से भटका दे। ऐसा मेहनत बेकार है और आपको अपने मंजिल तक पहुँचने से वंचित कर सकता है। 
  9. निर्णय आपका ,जिम्मेवारी आपकी -अकसर जिंदगी में आपके चाहने वाले , आपके श्रद्धेय ऐसी सलाह देतें हैं जो कि एक दूसरे के विपरीत हैं। दोनों आपका भला और सफलता चाहते हैं। जैसे फिल्म में पिताजी और कोच में सोच अलग था। सलाह कोई भी दे सकता है। निर्णय आपको लेना होगा। और उस निर्णय के फलस्वरूप नतीजे की जिम्मेवारी आपकी होगी। 
  10. डूबते को तिनके का सहारा नहीं भी मिल सकता है -खुद को डूबने से बचाना पड़ेगा। हम इस दुनिया में अकेले आए हैं और हमें जिंदगी में सफलता पाने के लिए हर कठिनाई का सामना खुद करना पड़ेगा। अपने अंतिम शक्ति तक। पूरी ज़िद के साथ। नहीं तो हम सफर में आए हुए कठिनाईयों के नीचे दब जाएंगे। 
क्या आप मुझसे सहमत है ?फिल्म देखी है आपने ?अगर नहीं तो जरूर देखिए। ऐसी फिल्म कदाचित बनती है। क्या पता इस फिल्म के प्रभाव से आपका ज़िन्दगी एक नया मोड़ ले। चलिए ना ,ना चले हुए पथ पर। शायद आपने खुद को अब तक पूरी तरह पहचाना ना हो ! आपका इंतज़ार करूँगा फेसबुक पर।