शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

नमस्कार। सर्दियों का मौसम कैसा बीत रहा है। कुछ लोगों को मजा आ रहा है। कुछ के लिए ठंडा ज़्यादा है। ठंडे के मौसम में गर्मियों की याद आती है ,और गर्मी के समय हमे सर्दियों का इंतेज़ार रहता है। यही ज़िन्दगी का सबसे कठिन पहलु है -हम सदा वही चाहते हैं जो नहीं है और उदास हो जाते हैं। जैसा की पिछले कई महीने में मैंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बेन -शहर के लेख का जिक्र किया था जिसमे उन्होंने हमें खुशियाँ बढ़ाने के विषय में बताया था ;उसी सिलसिले को बरक़रार रखते हुए मैंने एक मित्र से व्हाट्स एप्प के माध्यम से मिला एक और लेख को पेश करूँगा जो कि दो भाई के एक गज़ब कहानी को पेश करता है।
इस लेख के लेखक हैं नताली वाल्तेरस जिन्होंने दो भाई -बर्ट और जॉन जेकब्स -की आत्मकहानी को एक छोटे से लेख में पेश किया है। इन दोनों भाई ने मिलकर एक १०० करोड़ की टी -शर्ट बनाने वाली कंपनी बनाई है जिसका नाम है -life is good -जिंदगी अच्छा है। सच में अगर आप गौर करें जिंदगी अच्छा है। केवल इस चिंता की जिम्मेवारी अपनी है। अगर हम सोचे जिंदगी अच्छी है। तो वह अच्छी है। नहीं तो सर्दियों में हम गर्मी मांगते रहेंगे और गर्मियों में सर्दी।
कैसे इन दोनों भाई ने life is good के बारे में सोचा ? इनका जन्म अमेरिका के एक गरीब परिवार में हुआ। ६ बच्चों में ये दोनों सबसे छोटे थे। बचपन में इनके माता -पिता का एक मोटर दुर्घटना में काफी चोट लगी। माँ के कई हड्डियाँ टूट गई और पिता ने अपना दहना हाथ खो दिया। पिताजी अपने हाथ को खोने के बाद बहुत ही चिरचिरे और गुस्से वाले हो गए। बात -बात पर गुस्सा होने लगे और ज़िन्दगी को अनिश्चयता के साथ जीने लगे। काफी कठिन परिस्थितियों के साथ इस परिवार को जूझना पड़ा। इस माहौल में भी इनकी माँ ने अपना विश्वास बरक़रार रखा कि ज़िन्दगी अच्छी है। हर रात डिनर के वक़्त हर बच्चे को यह बताना था कि उस दिन अच्छा क्या हुआ था। केवल इसी कारण दिन के अंत एक अदभुत पॉजिटिव एनर्जी का एहसास होता था -पुरे परिवार को। जॉन का मानना है कि यह दैनिक सिलसिला उनको एक पीड़ित इंसान की तरह महसूस करने से रोकता था -"आज यह नहीं हुआ ,यह नहीं मिला ,यह कठनाई हुई आज "-इन सब चिंता दूर हो जाते थे अपने रात में डिनर टेबल पर। जब कुछ भी नहीं था ,पूरी परिवार के पास उम्मीदें जरूर मौजूद थी।
उनकी माँ ने उन्हें कभी मायूस नहीं होने दिया। रसोई घर में खाना बनाते वक़्त गाना गाना ;बच्चोँ के साथ उनके पढाई को अभिनय के जरिए समझाना ;उनके साथ कविताएँ दोहराना -चाहे परिस्थिति कितना ही प्रतिकूल क्यों ना हो ने बच्चों को एक ज़बरदस्त सीख दिया -खुश रहना परिस्थितयों पर निर्भर नहीं करता है। "माँ ने कठिन समय को उम्मीद के साथ सामना करने को सिखाया। क्योंकि ज़िन्दगी अच्छा है। "
इसी अटूट विश्वास को दोनों भाई ने अपनी ज़िन्दगी का और बिज़नेस का मकसद बना लिया है। उनका कहना है कि उम्मीद ही जीने का सबसे शक्तिशाली सोच है। उनका मानना है कि ज़िन्दगी परफेक्ट नहीं है। ना ही ज़िन्दगी आसान है। परन्तु ज़िन्दगी अच्छा है।
जैसा कि उनकी माँ उनसे दिन में हुए अच्छे घटनाओं का ज़िक्र करवाती थी ; दोनों भाई भी अपने कर्मचारियों को मिलते वक़्त एक ही अनुरोध करते हैं -कुछ ऐसा बताओ जो की अच्छा हुआ है। इस सोच का परिणाम बेहतरीन है। "इसके कारन अच्छे विचार सामने आते हैं ;इन विचारों के जरिए प्रगति होती है ;प्रगति ही सफलता की नीव है ;और पूरी कम्पनी का फोकस सफलता पर है ना कि कठिनाईओं पर। "यही विश्वास है दोनों भाई का।
ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है ,क्योंकि आप एक अच्छे इंसान हो। यह मेरा विश्वास है। मिलेंगे नए साल। नया साल और आनंदमय हो। यही उम्मीद पर भरोसा रखता हूँ। और धन्यवाद करता हूँ मेरे दोस्त पीटर चित्तरंजन को इस तरह के प्रभावशाली लेख को शेयर करने के लिए।
क्या आप सहमत हैं दोनों भाई के विश्वास से ?जरूर अपना सोच ज़ाहिर कीजिए ,मेरे साथ ,फेसबुक के माध्यम से। उम्मीद रखता हूँ ,आप पर। 
नमस्कार। आशा है कि त्योहारों का मौसम अच्छा रहा आपके और अपनों के लिए। पिछले दो लेख में मैंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बेन -शहर के सलाह का ज़िक्र किया है जिन्होंने ज़िन्दगी से और खुश होने के १४  सलाह दिए हैं। इस लेख में अंतिम चार सलाह का ज़िक्र करूँगा। उन पाठकों के लिए ,जिन्होंने पिछला दो लेख ना पढ़ा हो ,मैं प्रोफेसर का प्रथम दस  सलाह को पेश कर रहा हूँ।
आपके पास जो भी है उसके लिए ईश्वर का शुक्रगुज़ार रहो। शारीरिक एक्सरसाइज रोज जरूरी है। दिन का सबसे महत्वपूर्ण है ब्रेकफास्ट। assertive बनना सीखें। अभिज्ञता अर्जन करने के लिए पैसे निवेश करना आवश्यक है। कठिनाई को नज़र अंदाज़ ना करके जल्द से जल्द सामना करें -जितनी देर कीजिएगा उतनी तकलीफ होगी। अपने आस पास अपने खुशियों के समय का वातावरण तैयार कीजिए। अन्य लोगों के साथ अच्छे से पेश आईये और मुस्कुराइए। जूते ऐसा पहनिए ताकि आपके पैरों में दर्द ना हो ,अन्यथा आपके मूड पर बुरा प्रभाव रहेगा। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। आपको खुद पर ज़्यादा कॉन्फिडेंस मिलेगा। लोग आप पर ज़्यादा भरोसा करेंगे।
पेश है अंतिम चार सलाह। संगीत हमारी ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा है। आप ऐसा किसी को जानते हो जो कि संगीत से नफरत करता है ? मैं मिला हूँ कुछ लोगों से जो कि संगीत से नफरत नहीं करता है लेकिन जिनमे संगीत का आनंद लेने का कोई दिलचस्पी नहीं है। शत प्रतिशत ऐसे लोग जिनसे मैं मिला हूँ अपनी ज़िन्दगी से दुखी हैं और उनको किसी चीज़ से ख़ुशी नहीं मिलती है। विज्ञानं कहता है कि गाना सुनते वक़्त हम अक्सर अपने साथ गुनगुनाते हैं। इस अपने आप के साथ गुनगुनाना एक अलग आनंद का अनुभव दिलाता है। संगीत दोस्त बनाने में भी बहुत मदत करता है। आप अकसर उन अजनबी से ज़्यादा करीब बन जाते हैं जिनका संगीत का चॉइस आपसे मिलता जुलता है। इसका तात्पर्य यह नहीं होता कि अगर मेरा म्यूजिक का टेस्ट आपसे अलग हो तो हमारी दोस्ती हो नहीं सकती। मेरा तो मानना है कि हम जितना अलग -अलग घराने का संगीत का आनंद उठा सकेंगे ,उतनी ही हमारी ज़िन्दगी में नएपन का अहसास होगा जो कि हमें और भी आनंद देगा।
आपका मूड आप क्या खातें हैं उस पर निर्भर करता है। हर तीन -चार घण्टे में थोड़ा -थोड़ा खाना लीजिए। इससे आपका ग्लूकोज़ लेवल बरक़रार रहेगा जो कि आपके मूड को ठीक रखेगा। मैदा और चीनी का कम इस्तेमाल कीजिए। यह भी ग्लूकोज़ बढ़ा देता है। ऐसा खाना लीजिए जो स्वास्थ के लिए फायदेमंद है। सब कुछ खाइये लेकिन संयम के साथ। तरह -तरह का खाना खाइये ताकि आप खाने से बोर ना हो जाए। ना बोर होना आनंद का कारन है।
खुद का ख्याल रखिए और अपने आप को अट्रैक्टिव महसूस कीजिये। रिसर्च के अनुसार ७० प्रतिशत लोग जो खुद में दिलचस्पी लेते हैं और अपने आप को आकर्षणीय मानते और महसूस करते हैं ; जिंदगी में खुश दिखते हैं। आकर्षणीयता के साथ आपके रूप का संबंध नही है। यह एक मानसिक स्टेट है। अगर आप गूगल के माध्यम से मेरी तसवीर को देखेंगे , तो आपको एक साधारण इंसान दिखेगा। परन्तु अगर आप मेरे चेहरे पर गौर कीजिएगा तो मुझमे एक कॉन्फिडेंस नज़र आएगा जो मेरा आकर्षण का कारन है। हम चेहरे के साथ जन्म लेते हैं ,लेकिन अपने चेहरे का प्रयोग हम पर निर्भर करता है।
अंत में ईश्वर पर विश्वास रखिए। उनके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। खुशियाँ एक रिमोट कण्ट्रोल के तरह है। हर बार हम खुशियां खो देते हैं ,हम उसे ढ़ूढ़ने में पागल हो जाते हैं। कई बार ऐसा होता है हमें यही पता नहीं होता है कि हम खुद खुशियों पर विराजमान है लेकिन ख़ुशी ढूंढ रहे हैं। ऐसा हुया है कभी आपके साथ ? कब होता है ऐसा ?जब हम अपनी ख़ुशी को नज़र अंदाज़ करके दूसरों की ख़ुशी पर ईर्ष्या करते हैं। दूर का घास हमेशा ज़्यादा हरा दिखता है।
धन्यवाद प्रोफेसर बेन -शहर , हमारे ज़िन्दगी को और ख़ुशी के साथ जीने में मदत करने के लिए। आप खुश रहे और दूसरों को ख़ुशी से रहने दें। अगर आप मेरे साथ फेसबुक के माध्यम से मुलाकात करेंगे तो हमें बेहद ख़ुशी होगी। इंतेज़ार करूंगा।