बुधवार, 11 अप्रैल 2018

नमस्कार। एक और नया साल -आर्थिक यानि financial साल की शुरुआत। इनकम टैक्स का रिटर्न और कई सारे आर्थिक निर्णय का समय। साल के शुरू में प्लानिंग। लेकिन हम शुरुआत करेंगे इस साल का किसी अलग अंदाज़ के साथ -आप जैसे एक पाठक के अनुरोध पर मैं character कैसे बेहतर कर सकते हैं ,उस पर चर्चा करूँगा। मेरा विश्वास है कि character एक वक़्ति का परिचय है जो कि उसके सफलता या असफलता के सफर को दर्शाता है। एक उदाहरण लीजिए - किसी डॉन का -क्या नहीं होता उनके पास -दौलत , क्षमता , लोगों का उनसे डरना ,कई डॉन के लिए राजनीति के साथ संपर्क। लेकिन लोग क्या कहते हैं -डॉन -शब्द के साथ ही एक नेगेटिव character का सोच। एक दूसरा उदाहरण लीजिए -एक शिक्षक का -ज़्यादातर पॉजिटिव character का सोच। है ना ?
शुरू करते हैं character की परिभाषा से। हिंदी भाषा में character का पर्यायवाची शब्द है चरित्र। चरित्र शब्द का प्रयोग फिल्म और नाटक के चर्चे पर भी किया जाता है। और इस विषय में शायद आप मुझसे सहमत होंगे कि हम जैसे दर्शकों की सहानुभूति कभी फिल्म के विलन के प्रति भी होती है। और विलन ही हीरो बन जाता है। यद्यपि जो हरकतें वो फिल्म में करता है ,वह चरित्र के मूल्यांकन पर नेगेटिव है। डॉन ,दर ,खलनायक ऐसे कई फिल्मों के उदाहरण हैं। हमारा ऐसा डबल स्टैण्डर्ड क्यों ? जो चरित्र को हम नेगेटिव समझते हैं उसको हीरो क्यों बना देते हैं ?
मेरी चर्चा यहाँ से शुरू होती है। किसी भी फिल्म की सफलता के पीछे विलेन का किरदार हीरो से कम नहीं होता। गब्बर के बिना शोले नहीं बनता। गब्बर ने क्या किया ? एक नृशंष इंसान का चरित्र निभाया। लेकिन उस चरित्र को निभाने के लिए उन्हें खुद को विश्वास दिलाना पड़ा कि वो इतने निष्ठुर हैं। तभी जाकर उनके किरदार को इतना सवाँरा गया। मेरे लिए हमारा चरित्र हमारे विश्वास का अभिव्यक्ति है। अगर हमें अपना चरित्र बेहतर करना है ,तो हमें अपने विश्वास पर अटूट रहना पड़ेगा और उसकी अभिव्यक्ति करनी पड़ेगी चाहे कितनी बाधा आए। हमारे जितने स्वतंत्रता संग्रामी ने अपना प्राण न्योछावर किया उनमे यह विश्वास थी। हमारे लिए वो हीरो थे ,ब्रिटिश सरकार के लिए विलेन। उनमे भी किसी ने गाँधी जी का दिखाया हुआ मार्ग चुना ;कई लोगों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का दर्शाया हुआ पथ चुना।
शुरू कीजिए अपने विश्वास के साथ। यह निर्णय आपका है। इस विषय में किसी का नक़ल ना करें। ऐसा कोई ना बनने की कोशिश करे जो कि आपकी असलियत नहीं है। अगर ऐसा पथ चुनोगे तो आपको सर्वदा अभिनय करनी पड़ेगी। और वह संभव नहीं है। इस सिलसिले में मैं कुछ महीने पहले राहुल द्रविड़ के एक मंतव्य का ज़िक्र करूँगा जिसको मीडिया ने गलत समझा था। राहुल ने चिंता व्यक्त की थी कि आजके उभरते क्रिकेटर विराट कोहली के अग्रेशन को नक़ल कर रहें हैं। जो कि उनका स्वाभाविक चरित्र नहीं है। जो कि विराट का चरित्र है। ऐसा करने से कोई विराट कोहली नहीं बन जाएगा। करना हो तो विराट का अनुशाषन और त्याग का चरित्र अनुकरण करो ;तब शायद आप बेहतर क्रिकेटर जरूर बन सकते हो।
एक और दिलचस्प अनुभव का जिक्र बनता है चरित्र के इस चर्चे के सन्दर्भ में। मध्य रात्रि का समय। रास्ते का सिगनल लाल। एक मोटरसाइकिल सवारी इंतेज़ार करता हुआ सिगनल हरा होने का। एक जनप्रिय टीवी प्रोग्राम के विज्ञापन के लिए ऐसे कई दृश्यों को दर्शाया गया था। याद है आपको। चरित्र दूसरों के लिए नहीं अपने लिए होता है। हमारा चरित्र कोई देख रहा है या नहीं उस पर निर्भर नहीं कड़ेगा। मुझे किसी के पास कुछ प्रमाण नहीं करना है अपने चरित्र के माध्यम से।
इस लेख का अंतिम उदाहरण। इस वर्ष भारत की under 19 क्रिकेट टीम विश्व कप जीतने में सफल हुई। टीम के कोच राहुल द्रविड़ के लिए भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड ने पचास लाख रुपयों के इनाम की घोषणा की। अन्य कोचिंग स्टाफ के लिए इनाम की रकम काफी कम थी। द्रविड़ ने बोर्ड के कार्यकर्ताओं को समझाया कि टीम के सफलता के पीछे अन्य कोचिंग स्टाफ का अवदान उनसे किसी अंश में कम नहीं है। और इसके कारन उनके इनाम के रकम को बढ़ाना पड़ेगा। इसके लिए राहुल ने अपनी रकम आधी कर दी। इतना ही नहीं ,एक कोचिंग स्टाफ जिनका इस दरम्यान निधन हो गया था ,उनके परिवार को उतनी ही रकम मिली जितना कि औरों को। यह है एक चरित्र जिसकी मैं श्रद्धा करता हूँ। करता रहूँगा। इसी तरह के चरित्र महान इंसान है। हमें इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। क्या आप इस तरह के चरित्र पर विश्वास रखते हैं ? क्या आपने अपने विश्वास का निर्णय कर लिया है ?जिस पर आप अपना चरित्र बनाएँगे ?जरूर लिखिएगा फेसबुक के माध्यम से। इंतज़ार करूँगा।